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यह है दुनिया का सबसे छोड़ा रोबोट, चींटी से भी छोटा है साइज

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अब तक का सबसे छोटा रिमोट-कंट्रोल्ड वॉकिंग रोबोट नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के इंजीनियरों द्वारा बनाया गया है, और यह एक छोटे, Peekytoe केकड़े की शेप में डिजाइन किया गया है। पीकीटो छोटे केकड़े होते हैं, जो केवल आधा मिलीमीटर लंबे होते हैं, झुक सकते हैं, मुड़ सकते हैं, रेंग सकते हैं, चल सकते हैं, मुड़ सकते हैं और कूद भी सकते हैं। रिसर्चर्स ने मिलीमीटर साइज के रोबोट भी बनाए हैं, जो इंचवर्म, क्रिकेट और बीटल से मिलते जुलते हैं। हालांकि, रिसर्च अभी भी अपने शुरुआती चरण में है। रिसर्चर्स को उम्मीद है कि उनकी टेक्नोलॉजी उन्हें बेहद छोटे साइज के रोबोट विकसित करने में मदद करेगी, जो बहुत संकरी जगहों में भी काम करने में सक्षम होंगे। चींटी से भी छोटे साइज के यह रोबोट जटिल मशीनरी, हाइड्रोलिक्स या बिजली पर काम नहीं करता है। इसके बजाय, इसकी पावर शरीर की इलास्टिसिटी और लचीलेपन से आती है। रोबोट बनाने के लिए रिसर्चर्स ने एक शेप-मैमोरी अलॉय का इस्तेमाल किया, जो गर्म होने पर अपनी निर्धारित शेप में परिवर्तित हो जाता है। टीम ने इसकी बॉडी के विभिन्न जगहों को जल्दी से गर्म करने के लिए एक स्कैनिंग लेजर बीम का उ...

छोटी आकाशगंगाओं को ‘निगल’ कर बड़ी हो रही यह गैलेक्‍सी! हबल टेलीस्‍कोप ने खींची तस्‍वीर

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पिछले 30 साल से अंतरिक्ष में तैनात हबल स्‍पेस टेलीस्‍कोप (Hubble Space Telescope) हमें इस ब्रह्मांड की बारीकियों से रू-ब-रू करवा रहा है। कोई सप्‍ताह ऐसा नहीं होता, जब हमें इस टेलीस्‍कोप के द्वारा खींची गई इमेज देखने को ना मिले। अब इसने एक विशाल आकाशगंगा के शानदार नजारे को कैद किया है। यह हमारी आकाशगंगा- ‘मिल्‍की वे' से भी दोगुनी बड़ी है। यह एक अंडाकार आकाशगंगा है, जिसे NGC 474 के नाम से जाना जाता है, जो पृथ्वी से लगभग 100 मिलियन प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है। हबल टेलीस्‍कोप ने इस आकाशगंगा के सेंट्रल रीजन को नजदीक से कैप्‍चर किया, जिससे इसके आकार का पता चलता है। हालांकि इसकी एक और खूबी है।  अपने सर्वे के दौरान हबल टेलीस्‍कोप के एडवांस्‍ड कैमरों ने NGC 474 की नई इमेज को कैप्‍चर किया। इसके लिए टेलीस्‍कोप के वाइड फील्ड और प्लैनेटरी कैमरा 2 और वाइड फील्ड कैमरा 3 के डेटा का भी इस्‍तेमाल किया गया।  नासा के अनुसार, NGC 474, हमारी आकाशगंगा यानी मिल्की वे से 2.5 गुना बड़ी है। लेकिन इसका बड़ा आकार ही इस आकाशगंगा की इकलौती खूबी नहीं है। हबल टेलीस्‍कोप के हालिया ऑब्‍जर्वेशंस से पता चलता ह...

वैज्ञानिकों ने खोजे अनोखे जुड़वां एस्‍टरॉयड, उम्र में हो सकते हैं सबसे छोटे

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एक अजीबोगरीब खोज के तहत वैज्ञानिकों को जुड़वां एस्‍टरॉयड (asteroid) मिले हैं। ये पृथ्वी के सबसे नए पड़ोसी हो सकते हैं। अनुमान है कि लगभग 6 लाख मील की दूरी पर ये एस्‍टरॉयड कुछ सदियों पहले अपने पैरंट एस्‍टरॉयड से अलग हुए। अगस्‍त 2019 में इन एस्‍टरॉयड को अलग-अलग संस्थाओं (entities) के रूप में खोजा गया था। हालांकि उसके बाद शोधकर्ताओं ने इनके परिक्रमा पैटर्न में समानता को देखा। एस्‍टरॉयड 2019 PR2 और 2019 QR6 ने वैज्ञानिकों को हैरान कर दिया जब वैज्ञानिकों ने इनके इतिहास को टटोला। साल 2005 से स्‍टोर ‘कैटालिना स्काई सर्वे डेटा' को देखते हुए वैज्ञानिकों को इन एस्‍टरॉयड के बारे में एक दिलचस्प संभावना दिखाई दी। एडिशनल ऑब्‍जर्वेशन ने वैज्ञानिकों को इन एस्‍टरॉयड की पुरानी लोकेशन में जाने में मदद की। इसके बाद ऑर्बिटल कैलकुलेशन से यह निर्धारित किया गया कि अतीत में दो एस्‍टरॉयड सिर्फ एक इकाई थे। वैज्ञानिकों ने दो मॉडल का इस्तेमाल किया जिसके अनुसार, पैरंट एस्‍टरॉयड 230 और 420 साल पहले या 265 और 280 साल पहले टूट गया होगा। इसी वजह से ये दो एस्‍टरॉयड बन गए।  यह रिसर्च पेपर 2 फरवरी को रॉयल एस्ट्रो...

शनि ग्रह के छोटे से चंद्रमा के नीचे हो सकता है महासागर, मिले सबूत

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बृहस्पति के बाद हमारे सौरमंडल का दूसरा सबसे बड़ा ग्रह शनि (Saturn) है। इसने हमेशा वैज्ञानिकों और शौकिया खगोलविदों का ध्यान अपनी ओर खींचा है। शनि के चारों ओर लगे छल्लों को देखकर इसे आसानी से पहचाना जा सकता है। लेकिन इसकी एक और विशेषता है इस ग्रह के 60 से ज्‍यादा चंद्रमा। इन चंद्रमाओं में से एक ने हाल में वैज्ञानिकों की जिज्ञासा को जगाया है। एक नई रिसर्च के अनुसार, इस ग्रह की परिक्रमा करने वाले एक छोटे से चंद्रमा मीमास (Mimas) की जमी हुई सतह के नीचे एक महासागर छिपा हो सकता है। मीमास में घुमावदार घूर्णन होता है और वैज्ञानिकों का मानना है कि यह इसके अंदर मौजूद महासागर की वजह से है। हालांकि महासागरों वाले बाकी चंद्रमाओं से उलट मीमास की सतह पर ऐसा कोई निशान नहीं है, जो इसके नीचे महासागर का संकेत देता है। यह रिसर्च इकारस जर्नल में प्रकाशित हुई है। रिसर्चर एलिसा रोडेन और उनके सहयोगी मैथ्यू वॉकर ने महसूस किया कि यह चंद्रमा अपनी सतह के 14 से 20 मील बर्फ के नीचे पानी को रख सकता है। बर्फीले उपग्रहों की जियोफ‍िजिक्‍स के स्‍पेशलिस्‍ट और नासा के नेटवर्क फॉर ओशन वर्ल्ड्स रिसर्च कोऑर्डिनेशन नेटवर्...