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वैज्ञानिकों ने खोज निकाले पृथ्‍वी जैसे दो ग्रह, क्‍या मुमकिन होगी एक और दुनिया?

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पृथ्‍वी से बाहर जीवन की खोज और पृथ्‍वी जैसे ग्रहों की तलाश में वैज्ञानिक जुटे हुए हैं। इसी कड़ी में नई कामयाबी हाथ लगी है। पृथ्‍वी जैसे दो ग्रहों वाला एक सौर मंडल हमसे काफी करीब लगभग 33 प्रकाश वर्ष दूर खोज लिया गया है। वैसे यह खोज पिछले साल अक्‍टूबर में ही हो गई थी, लेकिन साइंटिस्‍ट इसे पुख्‍ता कर रहे थे। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa) के ट्रांजिटिंग एक्सोप्लेनेट सर्वे सैटेलाइट (TESS) ने इसे देखा था। आखिरकार 16 जून को कैलिफोर्निया में अमेरिकन एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी की एक बैठक में इसकी घोषणा की गई। इस खोज के बाद अहम सवाल यह उठता है कि क्‍या इन ग्रहों में जीवन संभव है? क्‍या पृथ्‍वी की तरह एक और दुनिया आने वाले वक्‍त में मुमकिन हो सकती है?  रिपोर्ट के अनुसार, इस सवाल का जवाब फ‍िलहाल तो ‘नहीं' में उत्‍तर देता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि हमारे पड़ोसी सौर मंडल में पृथ्वी के आकार वाले कम से कम दो चट्टानी ग्रह भले मौजूद हों, लेकिन इनमें से किसी के भी जीवन की मेजबानी करने की संभावना नहीं है।  इन दो ग्रहों में से एक का नाम HD 260655b बताया गया है। यह पृथ्वी से लगभग 1.2 गुना बड़ा ...

तारों को भी लगते हैं झटके! सुनामी जैसा कंपन‍ बिगाड़ सकता है उनका आकार

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हमारी आकाशगंगा यानी मिल्‍की-वे में मौजूद तारे भी ‘कंपन' का अनुभव करते हैं। यह सुनने में अजीब लगता है, लेकिन फैक्‍ट है। वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि आकाशगंगा में स्थित तारे (या ग्रह) ‘स्टारक्वेक' को एक्‍सपीरियंस करते हैं। जैसे पृथ्‍वी पर सुनामी आती है, वैसा ही कुछ अभास तारों में भी होता है। दावा तो यह भी है कि ये स्टारक्वेक इतने पावरफुल हैं कि किसी तारे का आकार भी बदल सकते हैं। यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) के मिल्की वे-मैपिंग गैया मिशन द्वारा यह खोज की गई है।  इस खोज तक पहुंचने में गैया स्‍पेस ऑब्‍जर्वेट्री द्वारा जुटाए गए डेटा की अहम भूमिका रही। इस ऑब्‍जर्वेट्री ने लगभग दो अरब सितारों के आंकड़े जुटाए थे, जिनके आधार पर यह खोज की गई है। यूरोपीय स्‍पेस एजेंसी की ओर से बताया गया है कि पहले भी ऑब्‍जर्वेट्री को तारों में कंपन का पता चलता था। तारों में यह कंपन उनके आकार को बनाए रखने के लिए होता था। अब जिन कंपनों के बारे में पता चला है, वह सुनामी की तरह हैं।  इस ऑब्‍जर्वेशन से खगोलविदों को हमारी आकाशगंगा की संरचना का पुनर्निर्माण करने में मदद मिलेगी। वह पता लगा पाएंगे कि अरबों ...

इंसान की आंख जैसी यह क्‍या चीज है मंगल ग्रह पर? स्‍पेस एजेंसी ने समझाया

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मंगल ग्रह पर दुनियाभर की अंतरिक्ष एजेंस‍ियों ने अपने मिशन भेजे हैं। इन्‍हीं में से एक मिशन के तहत यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) के मार्स एक्सप्रेस मिशन ने लाल ग्रह के दक्षिणी गोलार्ध में गड्ढे की आकृति वाले क्षेत्र, एओनिया टेरा (Aonia Terra) में एक इमेज को कैप्‍चर किया है। पहली नजर में देखने पर ऐसा लगता है कि ग्रह पर एक विशालकाय आंख मौजूद है, जो हमेशा खुली रहती है। हालांकि हकीकत में ऐसा कुछ नहीं है। तस्‍वीर भले ही आंखनुमा कोई स्‍ट्रक्‍चर हो, पर यह इस ग्रह की जियोलॉजी को बेहतर तरीके से दिखा सकती है। माना जाता है कि लगभग 4 अरब साल पहले इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर ऐसे गड्ढे उभर आए थे और यह सब हमारे सोलर सिस्‍टम के शुरुआती समय में हुई उथल-पुथल का नतीजा था।  कुछ दिन पहले ESA ने एक बयान जारी किया था। उससे ऐसा लग रहा था कि एजेंसी कोई साइंस फिक्शन हॉरर फिल्म लिखने की योजना बना रही है। उसके स्‍टेटमेंट का टाइटल था- ‘मार्स स्लीप्स विद वन आई ओपन'। अपने स्‍टेटमेंट में ईएसए ने बताया है कि यह इमेज और ऐसे गड्ढे आज से 3.5 से 4 अरब साल पहले लिक्विड वॉटर के लिए किसी तरह की सप्‍लाई में मदद करते...

अंतरिक्ष में तैनात सबसे बड़ी दूरबीन खोलेगी पृथ्‍वी जैसे दो ग्रहों का राज!

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अमेरिकी स्‍पेस एजेंसी नासा (Nasa) ने पिछले साल दिसंबर में अंतरिक्ष में अबतक के सबसे बड़े टेलीस्‍कोप जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (James Webb Space Telescope) को लॉन्‍च किया था। यह टेलीस्‍कोप वहां खुद को सेटअप करने की प्रक्रिया पूरी करने वाला है और जल्‍द अपना काम शुरू कर सकता है। खबरों की मानें, तो इस टेलीस्‍कोप ने एक नई चट्टानी दुनिया का पता लगाने की तैयारी शुरू कर दी है। बताया जाता है कि यह टेलीस्‍कोप 50 प्रकाश वर्ष दूर दो छोटे ग्रहों पर स्‍टडी करेगा।  space.com ने लिखा है कि मौजूदा टेलीस्‍कोप टेक्‍नॉलजी में गैसीय आवरण वाले ग्रहों के मुकाबले चट्टानी ग्रहों को देखना ज्‍यादा कठिन है। लेकिन जेम्‍स वेब टेलीस्‍कोप में लगे पावरफुल मिरर और डीप स्‍पेस लोकेशन की वजह से पृथ्‍वी से थोड़े बड़े दो ग्रहों को टटोलने का काम जल्‍द शुरू हो सकता है। खास बात यह है कि इन ग्रहों को ‘सुपर अर्थ' के रूप में जाना जाता है।    इन ग्रहों को भले ही सुपर अर्थ के तौर पर पहचाना  जाता है, लेकिन यहां जीवन मुमकिन नहीं है। इनमें से एक ग्रह तो बेहद गर्म लावा से ढका हुआ है, जिसका नाम 55 कैनरी ई है। वहीं दूसरे ग्रह का...

चलते हुए जहाज जैसी गैलेक्सी! हबल टेलीस्कोप ने खींची शानदार तस्‍वीर

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हबल स्पेस टेलीस्कोप (Hubble Space Telescope) ने हमारे ब्रह्मांड की अनेकों बेहतरीन इमेजेस खींची हैं। हाल ही में इस टेलीस्‍कोप ने एक और आश्चर्यजनक और खूबसूरत इमेज शेयर की है। इस बार टेलीस्‍कोप ने NGC 3318 गैलेक्‍सी (आकाशंगगा) को कैप्‍चर किया है। इस तस्‍वीर को यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) ने अपने ऑफ‍िशियल इंस्टाग्राम हैंडल पर शेयर किया। NGC 3318 के बाहरी किनारे ऐसे लगते हैं, जैसे आकाश में कोई जहाज चल रहा हो। अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा है कि NGC 3318 एक बेहतरीन ‘खगोलीय घटना' की जगह रहा है। इस विशाल सुपरनोवा की खोज एक शौकिया खगोलशास्त्री ने साल 2000 में की थी।  NGC 3318 और पृथ्वी के बीच की दूरी 115 मिलियन प्रकाश वर्ष दूर है। फोटो शेयर किए जाने के कुछ ही घंटों के अंदर इस इंस्टाग्राम पोस्ट को 7,000 से अधिक लोगों ने लाइक किया। कुछ दिनों पहले नासा ने भी यही तस्वीर इंस्टाग्राम पर शेयर की थी। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने कुछ सप्‍ताह पहले टकराती हुई आकाशगंगाओं की की एक इमेज भी शेयर की थी। इसे हबल टेलीस्कोप ने खींचा था। ये आकाशगंगाएं पृथ्वी से 215 मिलियन प्रकाश वर्ष दूर एक तारामंडल में स्थित थी...