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अचानक कम हो गया नेप्च्यून ग्रह का तापमान, साइंटिस्‍ट हैरान

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नेप्च्यून के तापमान की स्‍टडी कर रहे वैज्ञानिकों को हाल ही में बड़ी हैरानी हुई। उन्‍हें इस ग्रह पर असामान्‍य टेंपरेचर का पता चला है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, उन्‍होंने ग्रह में तापमान के उतार-चढ़ाव का अनुमान नहीं लगाया था। यह ग्रह गर्मी के मौसम में ठंडा हो जाता है और फिर दक्षिणी ध्रुव पर गर्म हो जाता है। स्‍टडी के प्रमुख लेखक माइकल रोमन ने एक बयान में कहा कि यह बदलाव अप्रत्याशित है। उन्‍होंने कहा कि हम नेपच्यून को काफी समय से देख रहे हैं। इन फाइंडिंग्‍स ने रिसर्चर्स को आश्चर्यचकित कर दिया है।  तापमान में यह गिरावट कई कारणों से हो सकती है। इनमें ग्रह की कैमिस्‍ट्री, मौसम के पैटर्न और सूर्य में होने वाला परिवर्तन शामिल है। पिछले 17 साल से नेप्च्यून का ऑब्‍जर्वेशन करने के लिए कई टेलीस्‍कोप का इस्‍तेमाल किया जा रहा है। इन टेलीस्‍कोप का इस्‍तेमाल करने वाले खगोलविदों ने ग्रह के तापमान में चौंकाने वाली गिरावट देखी है। इस स्‍टडी को सब-सीजनल वेरिएशन इन नैप्‍च्‍यून्‍स मिड इफ्रारेड इमिशन नाम से द प्लैनेटरी साइंस जर्नल में प्रकाशित किया गया है। स्‍टडी बताती है कि पृथ्वी की तरह नेपच्यून के भी म...

वैश्विक तापमान में वृद्धि से श्रम उत्पादकता प्रभावित होगी : अध्ययन

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First Published: January 27, 2022 | Last Updated:January 27, 2022 ड्यूक यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन में कहा गया है कि वैश्विक तापमान में वृद्धि से श्रम उत्पादकता प्रभावित होगी। तापमान में वृद्धि से 1.6 ट्रिलियन डालर का वैश्विक आर्थिक नुकसान होगा। अध्ययन के प्रमुख निष्कर्ष 12 घंटे के कार्य दिवस में, वर्तमान में लगभग 670 बिलियन डालर का नुकसान हो रहा है। पिछली सदी की तुलना में दुनिया पहले से ही एक डिग्री सेल्सियस गर्म है। हर अतिरिक्त वृद्धि लोगों की उत्पादकता को प्रभावित करेगी। 1979 और 2020 के बीच, प्रति वर्ष 101 बिलियन घंटे की दर से श्रम उत्पादकता का नुकसान हुआ था। आज दुनिया को गर्मी के कारण सालाना 259 अरब घंटे का नुकसान हो रहा है। दुनिया की तीन-चौथाई आबादी ऐसे स्थान पर रह रही है जहां काम के घंटों के साथ जलवायु की स्थिति जुड़ी हुई है। उष्ण कटिबंध में श्रम उत्पादकता सबसे अधिक है। यह उम्मीद की जाती है कि उष्णकटिबंधीय प्रति वर्ष 500 से 600 घंटे की श्रम उत्पादकता खो सकते हैं। पिछले चार दशकों में गर्मी से संबंधित श्रमिकों के नुकसान में चार गुना वृद्धि हुई है।...