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बिग बैंग के तुरंत बाद नहीं बना था यूनिवर्स, वैज्ञानिकों ने शेयर की चौंकाने वाली जानकारियां

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अंतरिक्ष में कुछ दूर की वस्तुओं से प्रकाश का विश्लेषण करते हुए, एस्ट्रोनॉमर्स की एक टीम ने हमारे यूनिवर्स के बनने में हुई कई महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक के बारे में कुछ अहम जानकारियां इकट्ठी की हैं। रिसर्चर्स की इस टीम ने पता लगाया है कि उन्होंने जितना सोचा था, उससे बहुत बाद में कॉस्मिक डॉन (Cosmic Dawn) समाप्त हुआ था। यदि आप सोच रहे हैं कि कॉस्मिक डॉन का क्या मतलब है, तो बता दें कि बिग बैंग विस्फोट के बाद यूनिवर्स के निर्माण के लिए मंच तैयार होने के बाद भी यह लाखों वर्षों तक हाइड्रोजन से घिरा रहा। इसके बाद, बिल्कुल नए बने तारों और गैलेक्सी से लाइट ने हाइड्रोजन को आयनित किया और इसे छांट दिया और इस तरह धीरे-धीरे इसे गायब कर दिया। इस अवधि को एस्ट्रोनॉमर्स ने कॉस्मिक डॉन के रूप में वर्णित किया है। वैज्ञानिकों और रिसर्चर्स यह निर्धारित करने में सक्षम हैं कि कॉस्मिक डॉन कब शुरू हुआ, लेकिन इसका अंत बहस का विषय बना हुआ है। इस रहस्य पर और रोशनी डालने के लिए, मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट फॉर एस्ट्रोनॉमी, जर्मनी के एस्ट्रोनॉमर्स की एक टीम ने बेहद दूर की वस्तुओं से लाइट का उपयोग किया और निष्कर्ष ...

सत्येंद्र नाथ बोस (Satyendra Nath Bose) कौन थे?

गूगल के इस डूडल में बोस को एक प्रयोग करते हुए दिखाया गया है। बोस को अल्बर्ट आइंस्टीन के साथ विद्युत चुम्बकीय विकिरण के गैस जैसे गुणों (gaslike qualities of electromagnetic radiation) के बारे में एक सिद्धांत विकसित करने में सहयोग के लिए जाना जाता है। सत्येंद्र नाथ बोस (Satyendra Nath Bose) सत्येंद्र नाथ बोस का जन्म 1 जनवरी, 1894 को कोलकाता में हुआ था। उन्हें 1920 के दशक की शुरुआत में क्वांटम यांत्रिकी पर अपने काम के लिए जाना जाता है। वह रॉयल सोसाइटी के फेलो थे और 1954 में उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। वह वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद के सलाहकार भी थे, और बाद में रॉयल सोसाइटी के फेलो बन गए। वह कई क्षेत्रों में रुचि रखते थे, जिसमें भौतिकी, गणित, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान, खनिज विज्ञान, दर्शन, कला, साहित्य और संगीत शामिल हैं। उन्होंने भारत में कई अनुसंधान और विकास समितियों में कार्य किया। 15 साल की उम्र में, बोस ने कलकत्ता के प्रेसीडेंसी कॉलेज में विज्ञान स्नातक की डिग्री हासिल करना शुरू किया और कलकत्ता विश्वविद्यालय से शीघ्र ही एप्लाइड गण...

क्‍या सचमुच एलियंस ने हमें भेजा था 'Wow! सिग्‍नल? वैज्ञानिकों ने खोज निकाली वह जगह

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एलियंस हमारी दुनिया के लिए हमेशा से रहस्‍य और उत्‍सुकता बने हुए हैं। ऐसे दावों की कमी नहीं है, जिनमें एलियंस के होने की बात कही जाती है। रिसर्चर्स इन दावों की पड़ताल में जुटे हुए हैं। इन्‍हीं में से एक है वो ब्रॉडकास्‍ट, जिसे ‘एलियन ब्रॉडकास्‍ट' कहा जाता है। यह बात साल 1977 की है। अमेरिका में एक रेडियो टेलीस्कोप को नैरोबैंड रेडियो सिग्नल मिला। इसे वाव (Wow) सिग्‍नल के रूप में जाना जाता है। इस सिग्‍नल ने वैज्ञानिकों को हैरान कर दिया था क्‍योंकि साइंटिस्‍ट इसकी उत्पत्ति का पता नहीं लगा पाए थे। कहा जा रहा है कि अब वैज्ञानिकों को इसका जवाब मिल गया है।  आधी सदी पहले आए इस सिग्‍नल के सोर्स को लेकर वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया है कि यह 1800 प्रकाश-वर्ष दूर सैजिटेरीअस तारामंडल में स्थित एक सूर्य जैसे तारे से आया होगा। खगोलशास्त्री अल्बर्टो कैबलेरो ने लाइव साइंस को बताया कि "वाव! सिग्नल को सबसे बेस्‍ट SETI कैंडिडेट रेडियो सिग्नल माना जाता है, जिसे हमारे टेलीस्‍कोपों ने पिक किया है। नासा के अनुसार, SETI या दूसरे ग्रहों की खोज वह क्षेत्र है, जिसके तहत 20वीं सदी के मध्य से ऐसे संदेशों ...

चीन ने माउंट एवरेस्ट के ऊपर उड़ाया एयरशिप और बना दिया वर्ल्ड रिकॉर्ड, जानें क्या था मकसद?

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चीन ने वायुमंडलीय संरचना से संबंधित डेटा और सतह से वाटर वैपर ट्रांस्पोर्टिंग प्रोसेस के बारे में अधिक जानकारी जुटाने और उसका अध्ययन करने के लिए रिकॉर्ड ऊंचाई के साथ माउंट एवरेस्ट पर एक एयरशिप उड़ाया है। मीडिया रिपोर्ट्स से जानकारी मिली है कि यह एयरशिप माउंट एवरेस्ट (Mount Everest) से 9,032 मीटर ऊपर उड़ान भरी। बता दें कि माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई 8,849 मीटर है। चीन के इंटरनेशनल TV चैनल CGTN के अनुसार, चीन के एयरशिप ने माउंट एवरेस्ट के ऊपर 30 मीटर प्रति सेकेंड की रफ्तार से उड़ान भरी। यह उड़ान दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर 4,300 मीटर की ऊंचाई पर स्थित एक बेस कैंप से उड़ान भरी गई। इस एयरशिप का नाम Jimu No. 1 बताया जा रहा है, जो 2.625 टन वजनी है और इसका वॉल्यूम 9,060 क्यूबिक मीटर है। इसके नीचे जुड़े वाहन का वजन 90 टन है। मीडिया चैनल की रिपोर्ट के अनुसार, एयरशिप का इस्तेमाल मुख्य रूप से वातावरण संरचना डेटा रिकॉर्ड करने के लिए किया जाता है, जिसमें पर्यावरण में मौजूद ब्लैक कार्बन, धूल, कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन की जानकारी मिल सके। वैज्ञानिक सतह से 9,000 मीटर की ऊंचाई तक वाटर वैपर के ट्रांस्पोर...

2 अरब साल पहले मंगल ग्रह पर थे महासागर! वैज्ञानिकों ने ऐसे लगाया अनुमान

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पृथ्‍वी से बाहर जीवन की संभावना की बात आती है, तो इसका सबसे बड़ा दावेदार नजर आता है मंगल (Mars) ग्रह। वर्षों से वैज्ञानिक यह जानने में जुटे हैं कि क्‍या कभी मंगल ग्रह पर जीवन था। क्‍या भविष्‍य में ऐसी कोई उम्‍मीद है? तमाम अध्‍ययन संकेत तो देते हैं, लेकिन अभी बहुत शोध बाकी है। अब पेरिस यूनिवर्सिटी की एक स्‍टडी में पता चला है कि 2 अरब साल पहले मंगल ग्रह पर तरल महासागर हो सकते थे। वैज्ञानिकों का कहना है कि तरल महासागर संभव हो सकता है अगर तापमान जमाव बिंदु यानी 4.5 डिग्री सेल्सियस से ज्‍यादा होता है। मंगल ग्रह पर ऐसी स्थितियां आज से करीब 3 अरब साल पहले मुमकिन थीं।  हालांकि साल 2016 के एक रिव्‍यू कहा गया था कि लो सोलर रेडिएशन के कारण मंगल ग्रह की प्राचीन जलवायु बेहद ठंडी थी और एक महासागर को बरकरार नहीं रख सकती थी। वहीं, साल 2021 के एक अन्य अध्ययन में कहा गया है कि ग्रह का अपना वॉर्मिंग मैकेनिज्‍म है, जो झीलों और नदियों को पनपने दे सकता है।  मौजूदा अध्ययन में रिसर्चर्स ने पृथ्वी के जलवायु मॉडल पर बेस्‍ड त्रि-आयामी मॉडल का इस्‍तेमाल करके मंगल की प्राचीन जलवायु को दोबारा से तैयार किया। इस...

मंगल पर कभी था जीवन? वैज्ञानिकों ने स्टडी किया 1.3 अरब साल पुराना उल्का पिंड

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मंगल ग्रह के बारे में एक सवाल हर किसी के मन में उठता है। चूंकि यह पृथ्वी के करीबी ग्रहों में से है, तो क्या यहां पर कभी जीवन रहा होगा? वैज्ञानिकों को भी इस सवाल ने सालों से उलझाया हुआ है। इसके बारे में लगातार शोध जारी है। बहुत उम्मीद है कि इसके संबंध में एक निष्कर्षपूर्ण उत्तर वैज्ञानिक जल्द खोज लेंगे। नासा ने लक्ष्य रखा है कि मंगल ग्रह से सैम्पलों को 2030 तक धरती पर ले आएगी। ये ऐसे सैम्पल होंगे जिनसे मंगल ग्रह पर जीवन के सबूतों को पता लगाया जा सकेगा। हालांकि, वैज्ञानिक उल्का पिंडों के रूप में मंगल के पदार्थों की स्टडी कर रहे हैं। स्वीडन में Lund University में शोधकर्ताओं ने मंगल के 1.3 अरब साल पुराने उल्का पिंक को स्टडी किया है और पाया कि इसे पानी का सीमित एक्सपोजर मिला है। दूसरे शब्दों में, उस खास समय और जगह पर जीवन के होने की संभावना नहीं थी। वैज्ञानिकों ने न्यूट्रॉन और एक्स-रे टोमोग्राफी का इस्तेमाल किया। यह वही तकनीक है जो परसेवरेंस रोवर द्वारा लाए गए सैम्पलों को स्टडी करने के लिए इस्तेमाल की जाएगी। इस तकनीक का इस्तेमाल इसलिए किया गया क्योंकि वैज्ञानिक पता लगाना चाहते थे कि क...

हमारी गैलेक्सी में छिपा था भयानक ब्लैक होल, तस्वीर में हुआ कैद

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गुरुवार को वैज्ञानिकों ने हमारी मिल्की वे गैलेक्सी के सेंटर में छिपे हुए एक ब्लैक होल को ढूंढा है। यह बेहद बड़ा ब्लैक होल है, जिसकी तस्वीर को शेयर भी किया गया है। कहा जा रहा है कि यह किसी भी पदार्थ को अपने जबरदस्त गुरुत्वाकर्षण खिंचाव से अपने भीतर खींच सकता है। इस ब्लैक होल का नाम Sagittarius A* है और इसे SgrA भी कहा जाता है। यह हमारे सूर्य के मास का 40 लाख गुना है और यह लगभग 26,000 लाइट-ईयर दूर है। समाचार एसेंजी Reuters के अनुसार, Sagittarius A* दूसरा ऐसा ब्लैक होल है, जिसकी तस्वीर बनाई गई है। यह उपलब्धि उसी इवेंट होराइजन टेलीस्कोप (EHT) के अंतरराष्ट्रीय सहयोग द्वारा हासिल की गई थी, जिसने 2019 में एक अलग आकाशगंगा के केंद्र में स्थित ब्लैक होल की पहली तस्वीर ली थी। जैसा कि हमने बताया,  Sagittarius A* हमारे सूर्य के मास का 40 लाख गुना है। ब्लैक होल जबरदस्त गुरुत्वाकर्षण वाले बेहद घनी वस्तुएं हैं, जो इतनी मजबूत हैं कि इनसे लाइट भी नहीं बच सकती है। यही वजह है कि उन्हें देखना काफी मुश्किल हो जाता है। एक ब्लैक होल के इवेंट होराइजन से वापस आना असंभव है, चाहे वो तारे, ग्रह, गैस, धूल और कि...

सूर्य में एक के बाद एक हलचल, Nasa ने ग्राफ‍िक्‍स से समझाया- क्‍या हुआ था

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वैज्ञानिकों के लिए ब्रह्मांड में सबसे उत्‍सुकता वाली चीज सूर्य (Sun) है। इस धधकते आग के गोले के बारे में जानने के लिए वह दिन-रात जुटे रहते हैं। कई अंतरिक्ष यान इस मकसद से अंतरिक्ष में हैं कि वह सूर्य के बारे में और जानकारी जुटा सकें। दुनियाभर की स्‍पेस एजेंसियां, सूर्य से जुड़ी नई घटनाओं को हमारे सामने लेकर आती हैं। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) और यूरोपियन अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) इसमें सबसे आगे हैं। नासा के हालिया इंस्‍टाग्राम पोस्‍ट से पता चलता है कि बीते दिनों सूर्य एक के बाद एक कई घटनाओं का गवाह बना।       नासा ने अपने इंस्‍टाग्राम पेज पर बताया है कि पिछले हफ्ते हमारे सूर्य ने बैक टू बैक परफॉर्मेंस दी। एजेंसी के मुताबिक, 30 मार्च 2022 को सूर्य से बहुत तेज चमक निकली। यह दोपहर होते-होते अपने पीक पर थी। इसके बाद एक मध्‍यम दर्जे की हलचल और रिकॉर्ड की गई। सूर्य में हुई हलचल को हमारी सोलर डायनेमिक्स ऑब्जर्वेटरी ने कैप्‍चर किया। यह लगातार सूर्य को देखती है और इसमें होने वाली घटनाओं को कवर करती है।    नासा की ओर से शेयर किए गए पहले ग्राफिक में अहम सौर चमक दिखाई देती है। इसके तहत ट...

रोजा बोनहेर (Rosa Bonheur) कौन थीं?

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First Published: March 16, 2022 | Last Updated:March 16, 2022 गूगल ने 16 मार्च को फ्रांसीसी चित्रकार रोजा बोनहेर का 200वां जन्मदिन मनाने के लिए एक डूडल बनाया। गौरतलब है कि उनके सफल करियर ने कला महिलाओं की भावी पीढ़ी को प्रेरित किया।  मुख्य बिंदु हालांकि कला में करियर के लिए बोनहेर की आकांक्षाएं उस समय की महिलाओं के लिए अपरंपरागत थीं, उन्होंने वर्षों के सावधानीपूर्वक अध्ययन किया और रेखाचित्रों को कैनवास पर अमर करने से पहले कलात्मक परंपराओं के विकास का बारीकी से अनुसरण किया। एक पशु चित्रकार और मूर्तिकार के रूप में बोनहेर की प्रतिष्ठा 1840 के दशक में बढ़ी। 1841 से 1853 तक प्रतिष्ठित पेरिस सैलून में उनके कई कार्यों को प्रदर्शित किया गया किया गया। 1853 में, बोनहेर ने अपनी पेंटिंग “द हॉर्स फेयर” के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त की, जिसमें पेरिस में आयोजित घोड़े के बाजार को दर्शाया गया था। उनके सबसे प्रसिद्ध चित्र के रूप में, यह पेंटिंग न्यूयॉर्क के मेट्रोपॉलिटन म्यूज़ियम ऑफ़ आर्ट में प्रदर्शित है। इस प्रसिद्ध पेंटिंग का सम्मान करने के लिए, फ्रांस...

श्रीमंत शंकरदेव (Srimanta Sankardeva) कौन थे?

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First Published: March 2, 2022 | Last Updated:March 2, 2022 27 फरवरी, 2022 को असम सरकार ने उन स्थानों पर ‘नामघर’ (वैष्णव मठ) स्थापित करने का निर्णय लिया, जहां 15वीं शताब्दी के संत और समाज सुधारक श्रीमंत शंकरदेव  ने बत्रादव (असम) से कूचबिहार (पश्चिम बंगाल)। की यात्रा के दौरान कम से कम एक रात बिताई थी। मुख्य बिंदु  असम सरकार तीर्थयात्रियों के लिए उन स्थानों को कवर करने के लिए ASTC के तहत विशेष बस सेवा शुरू करने की भी योजना बना रही है। यह घोषणा डिब्रूगढ़ जिले के नाहरकटिया में श्रीमंत शंकरदेव संघ के 91वें वार्षिक सत्र के दौरान की गई। सरकार कर्मचारियों के वेतन खर्च को पूरा करने के लिए महापुरुष श्रीमंत शंकरदेव विश्वविद्यालय को प्रति वर्ष 6 करोड़ रुपये प्रदान करेगी। श्रीमंत शंकरदेव कौन थे? श्रीमंत शंकरदेव 15वीं-16वीं सदी के असमिया संत-विद्वान, नाटककार, संगीतकार, कवि, नर्तक, अभिनेता और सामाजिक-धार्मिक सुधारक थे। वह असम के सांस्कृतिक और धार्मिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति थे। उन्हें व्यापक रूप से पिछले सांस्कृतिक अवशेषों के निर्माण और नाट्य प्रदर्शन (अं...

नरसिंह मेहता (Narsinh Mehta) कौन थे?

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First Published: March 1, 2022 | Last Updated:March 1, 2022 जूनागढ़ में भक्त कवि नरसिंह मेहता विश्वविद्यालय (BKNMU) के शोधकर्ताओं ने हाल ही में मकड़ी की एक नई प्रजाति की खोज की है। नरसिंह मेहता को सम्मानित करने और उनका नाम वैश्विक मानचित्र पर रखने के लिए इसे “नरसिंहमेहताई” नाम दिया गया है। मुख्य बिंदु नरसिंह मेहता 15वीं सदी के कवि और भगवान कृष्ण के भक्त थे।  ब्राह्मण समुदाय के सदस्यों ने नामकरण पर आपत्ति जताते हुए कहा कि वह पहले से ही एक वैश्विक नाम था और उनके नाम को मकड़ी के साथ जोड़ने की कोई आवश्यकता नहीं थी। नरसिंह मेहता कौन थे? नरसिंह मेहता का जन्म 1410 में, वर्तमान भावनगर जिले के तलजा में हुआ था। 1480 के दशक में जूनागढ़ में उनकी मृत्यु हुई। उनके परिवार की उत्पत्ति उत्तरी गुजरात के वडनगर में हुई थी। मूल जाति का नाम पांड्या माना जाता है, लेकिन क्योंकि परिवार के सदस्य राज्यों में अधिकारी थे, उन्हें मेहता कहा जाता था।  नरसिंह मेहता की कविता नरसिंह मेहता ने 750 से अधिक कविताएँ लिखी थीं, जिन्हें गुजरात में पद कहा जाता है। यह कविताएँ मुख्य रूप से भगव...

डॉ. मिचियाकी ताकाहाशी (Dr Michiaki Takahashi) कौन थे?

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First Published: February 17, 2022 | Last Updated:February 17, 2022 गूगल ने आज डॉ. मिचियाकी ताकाहाशी के सम्मान में एक डूडल बनाया है। गौरतलब है कि डॉ. ताकाहाशी ने चिकनपॉक्स के खिलाफ पहला टीका विकसित किया था । मुख्य बिंदु डॉ. ताकाहाशी का यह जीवन रक्षक टीका, जिसका उपयोग 80 से अधिक देशों में वर्षों से किया जा रहा है, चिकनपॉक्स रोग को रोकने के लिए एक प्रभावी उपाय के रूप में दुनिया भर के लाखों बच्चों को दिया गया है। मिचियाकी ताकाहाशी (Michiaki Takahashi) Categories: व्यक्तिविशेष करेंट अफेयर्स Tags:Chickenpox Vaccine , Dr Michiaki Takahashi , Hindi Current Affairs , Hindi News , Michiaki Takahashi , डॉ. मिचियाकी ताकाहाशी , मिचियाकी ताकाहाशी , हिंदी करेंट अफेयर्स , हिंदी समाचार https://myrevolution.in/current-affair-hindi/%e0%a4%a1%e0%a5%89-%e0%a4%ae%e0%a4%bf%e0%a4%9a%e0%a4%bf%e0%a4%af%e0%a4%be%e0%a4%95%e0%a5%80-%e0%a4%a4%e0%a4%be%e0%a4%95%e0%a4%be%e0%a4%b9%e0%a4%be%e0%a4%b6%e0%a5%80-dr-michiaki-takahashi-%e0%a4%95/?feed_id=12546&_unique_...

संगोली रायन्ना (Sangoli Rayanna) कौन थे?

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First Published: January 29, 2022 | Last Updated:January 29, 2022 संगोली रायन्ना कित्तूर रियासत के एक योद्धा थे। कित्तूर वर्तमान कर्नाटक है। कर्नाटक सरकार 180 करोड़ रुपये की लागत से संगोली रायन्ना के नाम पर एक सैन्य स्कूल का निर्माण कर रही है। इस स्कूल का संचालन रक्षा मंत्रालय द्वारा किया जाएगा। संगोली रायन्ना (Sangoli Rayanna) वे कित्तूर के एक महान योद्धा थे, उन्होंने अपनी मृत्यु तक रानी चेन्नम्मा के साथ डोक्ट्रिन ऑफ लैप्स (Doctrine of Lapse) के खिलाफ लड़ाई लड़ी। अंग्रेजों ने कित्तूर साम्राज्य के राजा और राजकुमार को मार डाला। चूंकि सिंहासन का कोई कानूनी उत्तराधिकारी नहीं था, वे डॉक्ट्रिन ऑफ लैप्स के तहत कित्तूर साम्राज्य पर नियंत्रण करना चाहते थे। रानी चनम्मा ने शिवलिंगप्पा को कित्तूर साम्राज्य के शासक के रूप में गोद लिया। संगोली रायन्ना शिवलिंगप्पा को अगला शासक बनाना चाहते थे। अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई रायन्ना ने 1824 के विद्रोह में प्रमुख भूमिका निभाई थी। कित्तूर साम्राज्य की अधिकांश भूमि जब्त कर ली गई थी। और बची हुई भूमि पर भारी कर लगाया जाता था। उन...

मोतीलाल तेजावत (Motilal Tejawat) कौन थे?

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First Published: January 29, 2022 | Last Updated:January 29, 2022 73 वें गणतंत्र दिवस परेड में गुजरात की झांकी में पाल और दाधवाव के गांवों में हुए नरसंहार को दिखाया गया। यह नरसंहार 1922 में हुआ था। इस नरसंहार के दौरान लगभग 1,200 आदिवासियों को अंग्रेजों ने बेरहमी से मार डाला था। मुख्य बिंदु  7 मार्च, 1922 को एक आदिवासी नेता मोतीलाल तेजावत 10,000 भील आदिवासियों को संबोधित कर रहे थे। ये आदिवासी एकी आंदोलन (Eki movement) का हिस्सा थे और दाधवाव गांव (अब गुजरात में साबरकांठा जिला) से थे। सभा ने जागीरदार से संबंधित कानूनों, भू-राजस्व व्यवस्था और ब्रिटिश सरकार द्वारा शुरू किए गए रजवाड़ा से संबंधित कानूनों का विरोध किया। मेजर एच.जी. सुटन ने फायरिंग का आदेश जारी किया। आदेश का पालन करते हुए पुलिस ने 1,200 से अधिक निर्दोष लोगों को मार डाला। इस घटना को पाल दाधवाव शहीद (Pal Dadhvav Martyrs) कहा जाता है। क्षेत्र के कुएं आदिवासियों के शवों से भरे हुए थे। = मोतीलाल तेजावत वे हत्याकांड में बच निकले, हालाँकि उनकी जांघ में दो बार गोली लगी। गांधीजी के अनुरोध पर तेजावत भू...

वर्ष 2021 पृथ्वी का पांचवां सबसे गर्म साल था : अध्ययन

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First Published: January 12, 2022 | Last Updated:January 12, 2022 हाल ही में कोपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस (Copernicus Climate Change Service) द्वारा एक रिपोर्ट सार्वजनिक की गई, जो एक यूरोपीय संघ का कार्यक्रम है। इस रिपोर्ट में पाया गया कि, 2021 पृथ्वी पर पांचवां सबसे गर्म वर्ष था। रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष इस रिपोर्ट के अनुसार, पिछले सात साल रिकॉर्ड पर सबसे गर्म रहे हैं। ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में निरंतर वृद्धि के कारण उन 12-महीने की अवधि में 2021 को पांचवें स्थान पर रखा गया है। वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में वृद्धि से पृथ्वी को अपरिवर्तनीय क्षति हो सकती है। इस रिपोर्ट में पाया गया कि, पूर्व-औद्योगिक स्तरों की तुलना में 2021 में औसत वैश्विक तापमान 1.1 से 1.2 डिग्री सेल्सियस अधिक था। वैज्ञानिकों के अनुसार औसत तापमान में 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक की वृद्धि से पृथ्वी को स्थायी नुकसान हो सकता है और इसका भारी हानिकारक पर्यावरणीय प्रभाव हो सकता है। यूरोप में सबसे गर्म ग्रीष्मकाल 2021 यूरोप में अत्यधिक तापमान और गर्मी ...

पहली बार वैज्ञानिकों ने विशाल लाल तारे को विस्‍फोट करते हुए देखा, ऐसा था नजारा

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अंतरिक्ष में विशाल तारों के मरने की खबरें हमने अक्‍सर पढ़ी हैं। कभी आपने सोचा है कि यह नजारा कैसा होगा? एक तारा पृथ्‍वी से कैसा दिखाई देगा, जब वह अपने अंत के निकट होगा? रिसर्चर्स ने टेलिस्‍कोप का इस्‍तेमाल करके एक विशाल लाल तारे में विस्फोट को देखा। यह तारा पृथ्वी से 120 मिलियन प्रकाश वर्ष दूर स्थित NGC 5731 आकाशगंगा में स्थित था। वैज्ञानिकों ने बताया कि विस्फोट से पहले यह तारा सूर्य से 10 गुना अधिक बड़ा था। इसमें मौजूद हाइड्रोजन, हीलियम और अन्य तत्वों के जरिए जलने के बाद यह फट गया। इस घटना को देखने से पहले खगोलविदों का मानना ​​था कि विस्फोट से पहले विशालकाय तारा शांत था।  यह रिसर्च एस्ट्रोफिजिकल जर्नल में 6 जनवरी को प्रकाशित हुई है। इसमें कहा गया है कि विशाल तारों में जब विस्‍फोट होता है, उसे देखना मील का पत्‍थर है। इस स्‍टडी के प्रमुख लेखक व्यान जैकबसन-गैलन (Wynn Jacobson-Galan) ने एक बयान में कहा कि विशालकाय लाल तारे को विस्फोट करते देखना एक बड़ी सफलता है।' CNN की रिपोर्ट के अनुसार, इस‍ विशाल तारे में असामान्य गतिविधि का पता खगोलविदों ने 130 दिन पहले लगाया था। यूनिवर्सिटी ऑ...