Posts

Showing posts with the label पत

चीन ने सबसे बड़ा और सबसे आधुनिक विमानवाहक पोत “फ़ुज़ियान” (Fujian) लॉन्च किया

Image
First Published: June 20, 2022 | Last Updated:June 20, 2022 17 जून, 2022 को चीन ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपनी नौसेना की सीमा का विस्तार करने के लिए “फ़ुज़ियान” नाम से अपना तीसरा विमानवाहक पोत लॉन्च किया। फ़ुज़ियान विमानवाहक पोत ( Fujian Aircraft Carrier) यह विमानवाहक पोत सबसे उन्नत और पहला “पूरी तरह से घरेलू रूप से निर्मित” नौसैनिक पोत है। इसे शंघाई के जियांगन शिपयार्ड में एक संक्षिप्त समारोह में लॉन्च किया गया। यह पहला घरेलू डिजाइन और निर्मित कैटापल्ट विमानवाहक पोत है। पृष्ठभूमि शंघाई के COVID-19 लॉकडाउन के कारण फ़ुज़ियान जहाज के  लांच में दो महीने की देरी हुई। इस जहाज का निर्माण किसने किया? यह विमानवाहक पोत चाइना स्टेट शिपबिल्डिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड द्वारा बनाया गया है। फ़ुज़ियान की विशेषताएं फ़ुज़ियान में 80,000 टन से अधिक की विस्थापन क्षमता है। यह अरेस्टिंग डिवाइसेस और इलेक्ट्रोमैग्नेटिक कैटापल्ट्स से लैस है। इसका नाम चीन के फ़ुज़ियान प्रांत के नाम पर रखा गया है। चीन के अन्य विमानवाहक पोत लियाओनिंग (Liaoning) चीन का पहला विमानवा...

एलियन या UFO का रहस्य पता करने के लिए NASA बना रही वैज्ञानिकों की स्पेशल टीम

Image
NASA ने गुरूवार को कहा कि वह वैज्ञानिकों की एक ऐसी टीम बनाने जा रही है जो आकाश में होने वाली अजब या अनजानी घटनाओं की जांच करेगी, जिन्हें UFO कहा जाता है। अमेरिकी सरकार इस मुद्दे को अब गंभीरता से लेने लगी है।  अमेरिकी स्पेस एजेंसी का कहना है कि टीम का फोकस उपलब्ध डेटा की पहचान करने पर रहेगा। ताकि भविष्य के डेटा को इकट्ठा किया जा सके और इन घटनाओं को जांचने के लिए उस जानकारी का इस्तेमाल किया जा सके। नासा ने इसके लिए प्रिंसटॉन यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रमुख डेविड स्पेरगेल को अप्रोच किया है, जो टीम का नेतृत्व करेंगे। इसके अलावा इस टीम में डेनिअल इवांस भी होंगे जो नासा के साइंस मिशन डायरेक्ट्रेट के सीनियर रिसर्चर हैं।  नासा का कहना है कि वो इस मिशन में हजारों लाखों डॉलर खर्च करने वाली है जो कम से कम $ 100,000 (लगभग 7,782,500 रुपये) होगा।  घोषणा अमेरिकी सरकार द्वारा एक रिपोर्ट जारी करने के एक साल बाद आई है, जिसे नौसेना के नेतृत्व वाली टास्क फोर्स के साथ मिलकर नेशनल इंटेलिजेंस के डायरेक्टर के ऑफिस द्वारा संकलित किया गया है। इसमें ज्यादातर अज्ञात हवाई घटनाओं की नौसेना कर्मियों द्वारा टिप्पणिया...

भारतीय तटरक्षक पोत ‘ऊर्जा प्रवाह’ (Urja Pravaha) को कमीशन किया गया

Image
First Published: April 26, 2022 | Last Updated:April 26, 2022 भारतीय तटरक्षक पोत ‘ऊर्जा प्रवाह’ को गुजरात के भरूच में भारतीय तटरक्षक बल में शामिल किया गया है। मुख्य बिंदु ‘उर्जा प्रवाह’ 22 अप्रैल, 2022 को कोच्चि पहुंची और यह तटरक्षक जिला मुख्यालय -4 (माहे और केरल) ऑपरेशनल कमांड के अधीन होगी। ऊर्जा प्रवाह में 1.85 मीटर का ड्राफ्ट है और यह 36.96 मीटर लंबा है। इसे क्रमशः 10 टन, 50 टन और 40 टन की क्षमता सीमा के साथ कार्गो विमानन ईंधन, जहाज ईंधन और मीठे पानी के लिए डिज़ाइन किया गया है।  यह नया जहाज तटरक्षक बल के जहाजों को रसद सहायता प्रदान करके भारतीय तटरक्षक बल (ICG) के संचालन को बढ़ाने में मदद करेगा, जिन्हें दूर-दराज के क्षेत्रों में कर्तव्यों के विभिन्न चार्टर का संचालन करने के लिए समुद्र में तैनात किया जाता है। ‘ऊर्जा प्रवाह’ को शामिल करने से भारतीय तटरक्षक बल की परिचालन क्षमता का भी अनुकूलन होगा। Categories: राष्ट्रीय करेंट अफेयर्स Tags:Hindi Current Affairs , Hindi News , ICG , Indian Coast Guard , Urja Pravaha , ऊर्जा प्रवाह , हिंदी करेंट अफेयर्स...

InspectIR COVID-19 Breathalyzer : अब सांस के परीक्षण से कोविड-19 का पता लगाया जा सकेगा

Image
First Published: April 19, 2022 | Last Updated:April 19, 2022 अमेरिका के खाद्य एवं औषधि प्रशासन (USFDA) द्वारा एक COVID-19 परीक्षण के लिए एक आपातकालीन उपयोग प्राधिकरण प्रदान किया गया है जो किसी व्यक्ति के सांस के नमूनों का उपयोग करता है। इस अधिकृत डिवाइस को InspectIR Covid-19 Breathalyzer नाम दिया गया है और इसे InspectIR Systems नाम की कंपनी द्वारा विकसित किया गया है। मुख्य बिंदु  यह उपकरण लगभग कैरी-ऑन लगेज के आकार का है और यह मिनटों में सटीक रूप से किसी व्यक्ति की परीक्षण से कोरोनावायरस का पता लगा सकता है। यह तकनीक रासायनिक मिश्रणों को पहचानने और अलग करने के लिए गैस क्रोमैटोग्राफी-मास स्पेक्ट्रोमेट्री (gas chromatography-mass spectrometry) का उपयोग करती है और पांच यौगिकों के लिए तेजी से स्क्रीन करती है जो किसी व्यक्ति की सांस में COVID-19 संक्रमण से जुड़े होते हैं। एकल-उपयोग वाले सैनिटरी पेपर स्ट्रॉ का उपयोग करके एक व्यक्ति अपने सांस के नमूने को डिवाइस में भेजता है और फिर डिवाइस उन रसायन और यौगिकों की खोज और पहचान करती है जो COVID-19 से जुड़े होते है...

चंद्रयान-2 (Chandrayaan-2) ने सोलर प्रोटॉन इवेंट्स का पता लगाया

Image
First Published: February 25, 2022 | Last Updated:February 25, 2022 चंद्रयान-2 ऑर्बिटर के ‘चंद्रयान-2 लार्ज एरिया सॉफ्ट एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (क्लास)’ पेलोड ने हाल ही में सौर प्रोटॉन घटनाओं का पता लगाया। मुख्य बिंदु  सोलर प्रोटॉन इवेंट्स अंतरिक्ष में मनुष्यों के लिए विकिरण जोखिम में काफी वृद्धि करते हैं। क्लास पेलोड (CLASS Payload) ने 18 जनवरी, 2022 को कोरोनल मास इजेक्शन (CME) भी दर्ज किया। इस तरह के बहु-बिंदु अवलोकन (multi-point observations) खगोलविदों को प्रसार और विभिन्न ग्रह प्रणालियों पर इसके प्रभाव को समझने में मदद करते हैं। कोरोनल मास इजेक्शन (CME) क्या है? कोरोनल मास इजेक्शन आयनित सामग्री और चुंबकीय क्षेत्रों की एक शक्तिशाली धारा है, जो कुछ दिनों बाद पृथ्वी पर पहुंचती है। इसने भू-चुंबकीय तूफानों को जन्म दिया और ध्रुवीय आकाश को औरोरा (aurora) से रोशन किया। सोलर फ्लेयर्स कब उत्पन्न होती है? जब सूर्य सक्रिय होता है, तो विस्फोट होते हैं जिन्हें सौर ज्वाला (solar flares) कहा जाता है। इस तरह की घटना कभी-कभी ऊर्जावान कणों को इंटरप्लेनेटरी स्पेस ...

रिसर्च में चला पता, शनि ग्रह के कई ऑरोरा को बनाती हैं इसकी हवाएं

Image
ऑरोरा (aurora) आकाश में बनने वाली खूबसूरत प्राकृतिक रोशनी है। यह रात के वक्‍त आमतौर पर नॉर्थ और साउथ पोल्‍स के पास देखने को मिलती है। लंबे समय से वैज्ञानिक यह मानते आए हैं कि ऑरोरा तब बनते हैं, जब सौर हवाएं पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र से इंटरेक्‍ट करती हैं। ऐसा दूसरे ग्रहों पर भी होता है, लेकिन लीसेस्टर यूनिवर्सिटी (University of Leicester) के वैज्ञानिकों का दावा है कि सभी अरोरा इस घटना से नहीं बने हैं। वैज्ञानिकों को शनि ग्रह (Saturn) के नॉर्थ पोल पर ग्रहीय अरोरा बनाने वाला मैकेनिज्‍म मिला है। इसे पहले कभी देखा नहीं गया है।  तो क्‍या है वह मैकेनिज्‍म? वैज्ञानिकों का कहना है कि शनि ग्रह के कुछ ऑरोरा इस ग्रह के अपने वातावरण के अंदर घूमने वाली हवाओं से पैदा होते हैं। इस खोज ने ग्रहों के ऑरोरा को लेकर बनाए गई समझ को बदल दिया है। यह शनि के बारे में एक रहस्य को भी सुलझाता है कि हम ग्रह पर दिन की लंबाई क्‍यों नहीं माप सकते?  नासा (NASA) ने साल 1997 में कैसिनी (Cassini) को लॉन्‍च किया था, जो साल 2004 में शनि तक पहुंच गया। तब से इसने यह मापने की कोशिश की है कि यह ग्रह अपने दिन की लेंथ तय कर...

अब चेस्ट X-Ray से लगाया जा सकेगा कोविड का पता, IIT जोधपुर ने विकसित की तकनीक

Image
First Published: January 31, 2022 | Last Updated:January 31, 2022 भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान जोधपुर (IIT-J) के शोधकर्ताओं द्वारा हाल ही में एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित छाती एक्स-रे तकनीक विकसित की गई थी। इस चेस्ट एक्स-रे तकनीक का इस्तेमाल कोविड-19 की स्क्रीनिंग के लिए किया जाएगा। मुख्य बिंदु शोधकर्ताओं की टीम ने COMiT-Net नामक एक गहन शिक्षण-आधारित एल्गोरिथम प्रस्तावित किया है। यह एल्गोरिथम गैर-कोविड प्रभावित फेफड़े को कोविड प्रभावित फेफड़े से अलग करने के लिए छाती के एक्स-रे छवियों में मौजूद असामान्यताओं (abnormalities) की जानकारी एकत्रित करेगा। प्रौद्योगिकी विकसित करने के लिए 2,500 से अधिक छाती एक्स-रे छवियों के साथ प्रयोग किया गया था। इसने लगभग 96.80% संवेदनशीलता हासिल की। इस शोध में इस्तेमाल AI समाधान चिकित्सा के साथ-साथ एल्गोरिथम दोनों दृष्टिकोणों से व्याख्या योग्य है। खोज का महत्व दुनिया भर में कई लहरों में कोविड -19 मामलों की बढ़ती संख्या के बीच, दूरस्थ क्षेत्रों में प्रसंस्करण केंद्रों और परीक्षण किटों की सीमित उपलब्धता के साथ देशों...

मुंह के कैंसर (Oral Cancer) का पता लगाने के लिए नई तकनीक खोजी गई

Image
First Published: January 29, 2022 | Last Updated:January 29, 2022 पश्चिम बंगाल में गुरु नानक इंस्टीट्यूट ऑफ डेंटल साइंसेज (Guru Nanak Institute of Dental Sciences) के शोधकर्ताओं ने मुंह के कैंसर (oral cancer) का पता लगाने के लिए एक नई विधि बनाई है। नई तकनीक  यह कैंसर के चरणों और पूर्व कैंसर के चरणों में अंतर करने में सक्षम है। यह विभेदीकरण (differentiation) उच्च मानक बायोप्सी रिपोर्ट के माध्यम से किया जाता है। टीम ने एक नया इमेजिंग डिवाइस बनाया है। यह उपकरण ऊतकों में रक्त प्रवाह दर को मापकर कैंसर के चरण की जांच करता है। इस डिवाइस एक रक्त छिड़काव इमेजर है। यह एक आर्द्रता सेंसर, इन्फ्रारेड कैमरा और एक सॉफ्टवेयर इंजन का उपयोग करता है। सॉफ्टवेयर इंजन को इलेक्ट्रॉनिक रूप से नियंत्रित किया जाता है। तकनीक की जरूरत लगभग पांचवीं महिला आबादी कैंसर से पीड़ित है। साथ ही, भारत में पुरुषों में मुंह का कैंसर सबसे आम प्रकार है। 11.28% से अधिक कैंसर मुंह के कैंसर हैं। यदि इसका पता पहले चल जाता है, तो पांच साल तक जीवित रहने की संभावना होती है। बाद के चरणों में, जीवित...