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NASA ने हबल स्पेस टेलीस्कोप के पुराने डेटाबेस से खोजे 1,031 अज्ञात एस्ट्रॉयड का ग्रुप

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पिछले 20 वर्षों में हबल स्पेस टेलीस्कोप द्वारा इकट्ठा किए गए डेटा में 1701 नए एस्ट्रॉयड ट्रेल्स का पता लगाने के लिए एस्ट्रोनॉमर्स ने मानव और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के एक जटिल कॉम्बिनेशन का इस्तेमाल किया है। रिसर्चर्स का मानना ​​​​है कि खोजे गए इन नए एस्ट्रॉयड से सोलर सिस्टम की शुरुआत के बारे में अहम जानकारियां दे सकते हैं, जब ग्रहों का निर्माण हुआ था। हबल टेलीस्कोप NASA का सबसे मूल्यवान टेलीस्कोप है, जिसने खगोल विज्ञान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। दुनिया के इस सबसे बड़े स्पेस टेलीस्कोप को 1990 में लॉन्च किया गया था। UK के डेली न्यूजपेपर Daily Express की रिपोर्ट के अनुसार, जून 2019 में, एस्ट्रोनॉमर्स के एक अंतरराष्ट्रीय ग्रुप ने हबल स्पेस टेलीस्कोप के आर्काइव डेटा की जांच की और इसमें छिपे हजारों एस्ट्रॉयड की पहचान करने के लिए Hubble Asteroid Hunter नाम का एक सिटिजन साइंस प्रोजेक्ट लॉन्च किया। इस प्रोजेक्ट का नेतृत्व करने वाले मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट फॉर एक्स्ट्राटेरेस्ट्रियल फिजिक्स के सैंडोर क्रुक (Sandor Kruk) ने कहा "एक खगोलविद का कचरा दूसरे खगोलविद का खजाना हो सकता है।...

मंगल पर कभी था जीवन? वैज्ञानिकों ने स्टडी किया 1.3 अरब साल पुराना उल्का पिंड

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मंगल ग्रह के बारे में एक सवाल हर किसी के मन में उठता है। चूंकि यह पृथ्वी के करीबी ग्रहों में से है, तो क्या यहां पर कभी जीवन रहा होगा? वैज्ञानिकों को भी इस सवाल ने सालों से उलझाया हुआ है। इसके बारे में लगातार शोध जारी है। बहुत उम्मीद है कि इसके संबंध में एक निष्कर्षपूर्ण उत्तर वैज्ञानिक जल्द खोज लेंगे। नासा ने लक्ष्य रखा है कि मंगल ग्रह से सैम्पलों को 2030 तक धरती पर ले आएगी। ये ऐसे सैम्पल होंगे जिनसे मंगल ग्रह पर जीवन के सबूतों को पता लगाया जा सकेगा। हालांकि, वैज्ञानिक उल्का पिंडों के रूप में मंगल के पदार्थों की स्टडी कर रहे हैं। स्वीडन में Lund University में शोधकर्ताओं ने मंगल के 1.3 अरब साल पुराने उल्का पिंक को स्टडी किया है और पाया कि इसे पानी का सीमित एक्सपोजर मिला है। दूसरे शब्दों में, उस खास समय और जगह पर जीवन के होने की संभावना नहीं थी। वैज्ञानिकों ने न्यूट्रॉन और एक्स-रे टोमोग्राफी का इस्तेमाल किया। यह वही तकनीक है जो परसेवरेंस रोवर द्वारा लाए गए सैम्पलों को स्टडी करने के लिए इस्तेमाल की जाएगी। इस तकनीक का इस्तेमाल इसलिए किया गया क्योंकि वैज्ञानिक पता लगाना चाहते थे कि क...

Nasa के हबल टेलीस्‍कोप ने खोजा अब तक का सबसे दूर और पुराना तारा

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खगोलविदों ने ब्रह्मांड में अब तक देखे गए सबसे दूर और पुराने तारे की खोज की है। यह तारा 12.9 अरब साल पहले भी चमकता था। इस तारे की रोशनी ने पृथ्वी तक पहुंचने के लिए 12.9 अरब प्रकाश-वर्ष की यात्रा की होगी। खगोलविदों का कहना है कि नया खोजा गया तारा वैसे ही दिखाई दिया, जैसे वह तब दिखाई दिया था जब ब्रह्मांड अपनी वर्तमान आयु का सिर्फ 7 प्रतिशत था। इसे हबल स्पेस टेलीस्कोप ने देखा है और अपने इंस्टाग्राम हैंडल पर इसकी इमेज शेयर की है। इसके कैप्‍शन के मुताबिक हबल ने अब तक देखे गए सबसे दूर व्यक्तिगत तारे को देखकर रिकॉर्ड तोड़ दिया है। इस तारे को एरेन्डेल (Earendel) नाम दिया गया है। खगोलविदों का कहना है कि एरेन्डेल ने हमारे ब्रह्मांड के पहले अरब वर्षों में जगमगाना शुरू किया। एरेन्डेल का द्रव्‍यमान हमारे सूर्य के द्रव्‍यमान का 50 गुना होने का अनुमान है। चमकने के मामले में भी यह हमारे सूर्य से लाखों गुना तेज है।    जर्नल नेचर में प्रकाशित पेपर के लेखक ब्रायन वेल्च ने कहा है कि पहले तो उन्‍हें इस खोज पर विश्‍वास ही नहीं हुआ, क्‍योंकि यह तारा रेडशिफ्ट स्टार से बहुत दूर था। गौरतलब है कि रेडशिफ्ट और...

ओमो I (Omo I) : सबसे पुराने मानव जीवाश्म की खोज की गई

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First Published: January 21, 2022 | Last Updated:January 21, 2022 हाल के एक अध्ययन के अनुसार, सबसे पुराने ज्ञात होमो सेपियन्स जीवाश्मों में से एक, ओमो किबिश I ( Omo Kibish I), पहले की तुलना में लगभग 35,000 वर्ष पुराना हो सकता है। मुख्य बिंदु  इस अध्ययन ने जीवाश्मों की आयु निकालने के लिए ज्वालामुखीय राख का इस्तेमाल किया और इस प्रकार त्रुटि के 22,000 साल के मार्जिन थे। 1967 में इथियोपिया में पहली बार ओमो किबिश I का पता चला था। इसे सीधे तौर पर डेट करना मुश्किल था क्योंकि इसमें केवल हड्डी और खोपड़ी के टुकड़े थे। नतीजतन, विशेषज्ञ लंबे समय तक इसकी उम्र पर विभाजित रहे। 2005 में, भूवैज्ञानिकों ने चट्टान की परत का विश्लेषण किया। वे इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि, ओमो I जीवाश्म कम से कम 1,95,000 वर्ष का था। इस तिथि की गणना जीवाश्मों पर जमा राख की परतों का विश्लेषण करके की गई थी। नए युग का महत्व ओमो I के लिए नई न्यूनतम आयु मानव विकास के नवीनतम सिद्धांतों के अनुरूप है। यह अध्ययन इसे सबसे पुराने होमो सेपियन्स अवशेषों को दी गई उम्र के करीब भी लाता है, जो 2017 में मोर...

38 साल पुराने सैटेलाइट डेटा से मिला 9वें ग्रह की मौजूदगी का सुराग

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पढ़कर यकीन करना थोड़ा मुश्किल होगा, लेकिन करीब चार दशक पहले का डेटा हमारे सौर मंडल यानी सोलर सिस्‍टम में नौंवे प्‍लैनेट (ग्रह) की मौजूदगी के बारे में बता सकता है। प्‍लैनेट नाइन, पिछले कुछ समय से वैज्ञानिकों के बीच चर्चा में है, लेकिन अभी तक किसी ने इस पर ध्यान नहीं दिया है। अब लंदन में इंपीरियल कॉलेज के एस्‍ट्रोफ‍िजिक्‍स के प्रोफेसर माइकल रोवन-रॉबिन्सन ने 38 साल पुराने डेटा के आधार पर यह दावा है कि उन्होंने प्‍लैनेट नाइन को ढूंढ लिया है। यह डेटा 1983 के इन्फ्रारेड एस्ट्रोनॉमिकल सैटेलाइट (IRAS) की रीडिंग से लिया गया है, जिसका हिस्‍सा रॉबिन्सन भी थे। उनके दावे का यह मतलब नहीं है कि ग्रह का पता लगा लिया गया है, लेकिन यह आसमान में उस एरिया को फोकस करता है, जहां नौंवा ग्रह मिल सकता है।  प्लैनेट नाइन के बारे में पहली बार जनवरी 2015 में चर्चा हुई थी। कैलिफोर्निया इंस्टि‍ट्यूट फॉर टेक्‍नॉलजी (कैलटेक) के दो एस्‍ट्रोनॉमर्स ने अनुमान लगाया था कि नेपच्यून के आकार का एक ग्रह प्लूटो से बहुत दूर एक लंबा रास्‍ता तय करके सूर्य की परिक्रमा करता है। कैलटेक के एस्‍ट्रोनॉमर्स की फाइंडिंग्‍स का आधार, मॉ...