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NASA के यान ने मंगल ग्रह पर देखी चमकदार वस्तु, वैज्ञानिकों ने बताई सच्चाई

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NASA के पर्सीवरेंस रोवर (Perseverance Rover) ने मंगल ग्रह (Mars Planet) पर चमकते धातु जैसी दिखने वाली एक वस्तु की फोटो कैप्चर की है, जिसने साइंटिस्ट व रिसर्चर्स को हैरान कर दिया है। कैप्चर की गई तस्वीर को NASA ने सार्वजनिक रूप से शेयर भी किया, जिसमें चट्टानों के बीच में एक पत्थर जैसा ऑब्जेक्ट है, जो चमक रहा है। हालांकि, जब वैज्ञानिकों ने तस्वीर को बारीकी से जांचा, तो पाया कि ये पर्सीवरेंस रोवर द्वारा फैलाया हुआ कचरा था।  बीते बुधवार को, NASA के Perseverance Mars Rover ट्विटर हैंडल से ट्वीट की एक सीरीज पोस्ट की गई, जिसमें पर्सीवरेंस रोवर द्वारा मंगल ग्रह पर एक चमकने वाली वस्तु की फोटो को शेयर किया गया। इस तस्वीर में मंगल ग्रह पर चट्टानों के बीच एक वस्तु दिखाई दे रही है, जो सिल्वर रंग की चमक फेंक रही है। फोटो के साथ ही पोस्ट में कुछ जानकारियां भी दी गई है।   My team has spotted something unexpected: It's a piece of a thermal blanket that they think may have come from my descent stage, the rocket-powered jet pack that set me down on landing day back in 2021. pic.twitter.com/O4rIaE...

NASA के हेलीकॉप्टर ने मंगल ग्रह पर 25वीं उड़ान भर तोडा रिकॉर्ड, देखें वीडियो

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NASA का Ingenuity हेलीकॉप्टर मंगल ग्रह पर प्राचीन जीवन के निशान ढूंढने का काम कर रहा है और अब इसने कमजोर वातावरण में 25 उड़ानें भरने का रिकॉर्ड बनाया है। इंजीनियरों ने इस छोटे हेलीकॉप्टर को अपने साथी पर्सवेरेंस रोवर के साथ वन-वे ट्रिप पर भेजा जब पहली बार भेजा था, तो केवल पांच उड़ानों की प्लानिंग की थी, लेकिन Ingenuity ने अपनी 25वीं उड़ान भरके नया कीर्तिमान हासिल किया है। 8 अप्रैल को जब फ्लाइट ने उड़ान भरी, तो हेलीकॉप्टर ने पहले से कहीं ज्यादा तेज उड़ान भरी। इसने दूरी और स्पीड दोनों के रिकॉर्ड तोड़ दिए। हेलीकॉप्टर 704 मीटर ऊंचा और 5.5 मीटर प्रति सेकंड की स्पीड से उड़ा। Ingenuity के ब्लैक-एंड-व्हाइट नेविगेशन कैमरे ने उड़ान के दौरान कुछ लुभावनी तस्वीरें भी कैप्चर की। नासा के इंजीनियरों ने उन्हें एक वीडियो में एक साथ जोड़ दिया है, जिसमें मंगल ग्रह के आसपास का दृश्य दिखाया गया है। Ingenuity ने 25वीं उड़ान के बाद से कुछ और उड़ानें भरी हैं। नासा ने कहा कि यह फिलहाल अपनी 29वीं उड़ान की तैयारी कर रहा है। Ingenuity टीम के प्रमुख Teddy Tzanetos ने कहा कि हेलीकॉप्टर के नेविगेशन कैमरे ने उन्हें...

2 अरब साल पहले मंगल ग्रह पर थे महासागर! वैज्ञानिकों ने ऐसे लगाया अनुमान

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पृथ्‍वी से बाहर जीवन की संभावना की बात आती है, तो इसका सबसे बड़ा दावेदार नजर आता है मंगल (Mars) ग्रह। वर्षों से वैज्ञानिक यह जानने में जुटे हैं कि क्‍या कभी मंगल ग्रह पर जीवन था। क्‍या भविष्‍य में ऐसी कोई उम्‍मीद है? तमाम अध्‍ययन संकेत तो देते हैं, लेकिन अभी बहुत शोध बाकी है। अब पेरिस यूनिवर्सिटी की एक स्‍टडी में पता चला है कि 2 अरब साल पहले मंगल ग्रह पर तरल महासागर हो सकते थे। वैज्ञानिकों का कहना है कि तरल महासागर संभव हो सकता है अगर तापमान जमाव बिंदु यानी 4.5 डिग्री सेल्सियस से ज्‍यादा होता है। मंगल ग्रह पर ऐसी स्थितियां आज से करीब 3 अरब साल पहले मुमकिन थीं।  हालांकि साल 2016 के एक रिव्‍यू कहा गया था कि लो सोलर रेडिएशन के कारण मंगल ग्रह की प्राचीन जलवायु बेहद ठंडी थी और एक महासागर को बरकरार नहीं रख सकती थी। वहीं, साल 2021 के एक अन्य अध्ययन में कहा गया है कि ग्रह का अपना वॉर्मिंग मैकेनिज्‍म है, जो झीलों और नदियों को पनपने दे सकता है।  मौजूदा अध्ययन में रिसर्चर्स ने पृथ्वी के जलवायु मॉडल पर बेस्‍ड त्रि-आयामी मॉडल का इस्‍तेमाल करके मंगल की प्राचीन जलवायु को दोबारा से तैयार किया। इस...

यूरोपीय स्पेस एजेंसी ने मंगल ग्रह की सतह पर देखी दिलचस्प आकृतियां, तस्वीर में देखें...

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यूरोपीय स्पेस एजेंसी (ESA) के मार्स एक्सप्रेस ऑर्बिटर से लेटेस्ट रिलीज में मंगल ग्रह के भूविज्ञान को लेकर बेहद दिलचस्प जानकारियों का खुलासा किया है। ऐसा प्रतीत होता है कि लाल ग्रह की सतह पर भारी खरोंचें हैं। हालांकि, ये निशान टैंटलस फॉसे का हिस्सा हैं, जो मंगल पर एक विशाल फॉल्ट सिस्टम है। तस्वीर की डिटेल्स के अलावा, यहां जो ध्यान देने वाली एक और जरूरी विशेषता है, वो है इसका साइज। ये कुंड 350 मीटर (1,148 फीट) तक गहरे, 10 किलोमीटर चौड़े है और यह चौड़ाई 1,000 किलोमीटर तक लंबी हो सकती हैं। तस्वीर 'ट्रू कलर' है, जिसका मतलब है कि यदि मनुष्य इस जगह को अपनी आंखों से देखेंगे, तो उन्हें यह क्षेत्र समान रंग का दिखाई देगा। मंगल ग्रह पर कई रहस्य हैं और लाल ग्रह की सतह पर काम करते रहने वाले रोबोट हर दिन नई जानकारी का खुलासा कर रहे हैं। एक ESA प्रेस रिलीज में कहा गया है, "पहली नज़र में ये फीचर्स ऐसे दिखते हैं जैसे किसी ने लाल ग्रह की सतह पर अपने नाखूनों को उकेरा है, जैसे उन्होंने ऐसा किया है।" प्रेस रिलीज में कहा गया है कि टैंटलस फॉसे मंगल पर एक प्रमुख विशेषता है। यह निशान मंगल ...

मंगल ग्रह पर ‘दूसरी दुनिया’ का मलबा! जानें नासा के Ingenuity हेलीकॉप्‍टर को क्‍या मिला

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मंगल ग्रह (Mars) पर जीवन के संकेत तलाशने के लिए अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) ने पर्सवेरेंस रोवर  (Perseverance rover) को भेजा है। पिछले साल फरवरी में मंगल ग्रह की सतह पर पर्सवेरेंस रोवर के उतरने के दौरान उसका एक कॉम्‍पोनेंट (बैकशेल) अलग हो गया था। इसकी तस्‍वीर सामने आई है। पिछले हफ्ते अपनी 26वीं उड़ान के दौरान Ingenuity ने हवा में 159 सेकंड के दौरान 1,181 फीट की दूरी तय करते हुए 10 तस्वीरें लीं। इनमें उस कॉम्‍पोनेंट (बैकशेल) या लैंडिंग कैप्सूल के टॉप हाफ हिस्से को भी दिखाया गया है। रोवर के पैराशूट और बैकशेल 1.3 मील की ऊंचाई पर रोवर से अलग हो गए थे। वह रोवर से उत्तर-पश्चिम में एक मील से अधिक दूर लैंड हुए थे।  लगभग 15 फीट व्यास वाला बैकशेल लगभग 78 मील प्रति घंटे की रफ्तार से जमीन से टकराया और बिखर गया। वहीं, पैराशूट अपनी जगह पर बरकरार लगता है। नासा के इंजीनियरों ने इन तस्‍वीरों को टटोलना शुरू कर दिया है। पर्सवेरेंस के पैराशूट सिस्‍टम पर काम करने वाले इंजीनियर इयान क्‍लार्क कहते हैं कि एक तस्वीर एक हजार शब्‍दों के बराबर है।  बैकशेल के अवशेषों की स्‍टडी करने से नासा को उसके अगल...

NASA ने शेयर किया मंगल से दिखने वाले सूर्य ग्रहण का अद्भुत नजारा

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आपने धरती से सूर्यग्रहण तो कई बार देखा होगा, लेकिन क्या आपने कभी मंगल ग्रह से सूर्य ग्रहण देखने के बारे में सोचा है? नासा की बदौलत यह मुमकिन हो सका है। नासा ने एक वीडियो शेयर किया है जिसमें मंगल ग्रह के दो चंद्रमाओं में से एक, सूर्य पर अपनी छाया डाल रहा है। यह मंगल ग्रह की सतह से देखा गया है। इस रोचक वीडियो को अंतरिक्ष एजेंसी के पर्सेवरेंस रोवर ने कैमरे में कैद किया है। इस दौरान लाल ग्रह का एक छोटा, आलू के आकार का चंद्रमा फोबोस (Phobos) मंगल और सूर्य के बीच आ गया था। "तुम सच्चे हो इसीलिए बहुत अच्छे हो। तुमसे नजरें नहीं हटाई जा रहीं।” नासा ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर वीडियो शेयर करते हुए लिखा है।  ये ऑब्जर्वेशन वैज्ञानिकों को चंद्रमा के ऑर्बिट में होने वाली हल्की शिफ्ट को बेहतर ढंग से समझने में मदद कर रही हैं, जिससे पता चलता है कि कैसे इसकी ग्रेविटी मंगल ग्रह की दो ऊपर परतों क्रस्ट और मेंटल को आकार देती है। NASA के पर्सेवरेंस रोवर ने वीडियो कैप्चर करने के लिए 2 अप्रैल को अपने नेक्स्ट-जेनरेशन मास्टकैम-जेड कैमरे का इस्तेमाल किया। वीडियो में दिखाया गया है कि कैसे एक छोटी वस्तु म...

रिसर्चर्स का दावा, भूकंप के लिहाज से पहले से ज्‍यादा एक्टिव है मंगल ग्रह

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जितना सोचा गया है, मंगल ग्रह (Mars) उससे भी ज्‍यादा पृथ्‍वी के समान है। रिसर्चर्स को पता चला है कि यह ग्रह अपनी धूल भरी बंजर सतह के नीचे ज्वालामुखी गतिविधियों के कारण 'मार्सक्‍वेक' का अनुभव कर रहा है। यह वैसा ही है, जैसा पृथ्‍वी पर भूकंप होता है। रिसर्चर्स ने एक विशिष्ट क्षेत्र में मार्टिन क्रस्ट के नीचे 47 मार्सक्वेक की खोज की है, जिसे सेर्बरस फॉसे कहा जाता है। यह 20 मिलियन वर्ष से कम पुराना है। ये 47 मार्सक्वेक एक नई खोज के रूप में सामने आए हैं। अब से पहले वैज्ञानिकों को लगता था कि कमजोर चुंबकीय क्षेत्र वाले मंगल ग्रह के अंदर बहुत कुछ नहीं घटित हो रहा है। नई खोज यह तथ्‍य कमजोर साबित हुआ है।   आमतौर पर ग्रहों के चुंबकीय क्षेत्र उनके अंदर पैदा होते हैं। उदाहरण के लिए- पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र उसके बाहरी कोर में उत्पन्न होता है यह अंतरिक्ष में कई किलोमीटर तक फैला होता है। दरअसल यह ब्रह्मांड से आने वाले रेडिएशन के खिलाफ एक ढाल की तरह काम करता है।  दूसरी ओर मंगल ग्रह पर चुंबकीय क्षेत्र सिर्फ पैच में मौजूद है। यह सौर हवा के मंगल ग्रह के वातावरण के साथ इंटरेक्‍शन से बनता है। पू...

मंगल ग्रह की यात्रा में 500 नहीं सिर्फ 45 दिन लगेंगे, जानें क्‍या है रिसर्चर्स का आइडिया

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अंतरिक्ष के छुपे हुए रहस्‍यों को खोजने के लिए दुनियाभर की स्‍पेस एजेंसियां काम कर रही हैं। प्राइवेट कंपनियों ने भी अपने कमर्शल वेंचर्स के साथ इस क्षेत्र में कदम रखा है। अमेरिका और चीन जैसे देशों की नजर मंगल (Mars) ग्रह पर है। दोनों ही देश अगले दशक तक मंगल ग्रह पर इंसानों को उतारने का लक्ष्‍य लेकर चल रहे हैं। इस मकसद की तारीफ तो की जानी चाहिए, लेकिन साथ ही कई तकनीकी चुनौतियां भी हैं। उदाहरण के लिए, मंगल ग्रह के लिए एक मिशन हर 26 महीने में सिर्फ एक बार लॉन्‍च किया जा सकता है। ऐसा इसलिए, क्‍योंकि मंगल और पृथ्‍वी अपने नजदीकी बिंदु पर होते हैं। इसके बाद भी जो तकनीक मौजूद है, उसकी मदद से पृथ्‍वी से मंगल तक पहुंचने में 9 महीनों का वक्‍त लगेगा। यही वजह है कि अंतर‍िक्ष यात्रा को बदलने के लिए नए विचारों की जरूरत महसूस होती है।    इसका सॉल्‍यूशन लेकर आया है कनाडा की मैकगिल यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स का एक ग्रुप। उनका कहना है कि अगर अंतरिक्ष यान उनके द्वारा बताई गई संचालक शक्ति प्रणाली (propulsion system) का इस्‍तेमाल करता है, तो पृथ्वी-मंगल की यात्रा का समय घटाकर सिर्फ 45 दिन किया जा सकता है। ...

यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ने दिखाई मंगल ग्रह की हैरान करने वाली तस्‍वीर

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यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) ने मंगल (Mars) ग्रह की सतह की एक हैरान करने वाली इमेज रिलीज की है। इसमें दिखाया गया है कि हवाएं कैसे किसी परिदृश्‍य को आकार देती हैं। तस्‍वीर में मंगल ग्रह के साउथ हाइलैंड्स में हुक क्रेटर एरिया (Hooke Crater area) को दिखाया गया है। यह तस्‍वीर ESA और रूस की स्‍पेस एजेंसी रोस्कोस्मोस के प्रोजेक्‍ट- एक्सोमार्स ट्रेस गैस ऑर्बिटर (TGO) ने ली है। TGO के CaSSIS कैमरे (कलर एंड स्‍टीरियो सर्फेस इमेजिंग सिस्टम) द्वारा इस्‍तेमाल किए जाने वाले फिल्टर की वजह से तस्‍वीर में आर्टिफ‍िशियल रंग दिखाई दे रहे हैं।   ESA ने इंस्टाग्राम पर यह इमेज शेयर की है, जो मंगल ग्रह के साउथ हाइलैंड्स में हुक क्रेटर के पास एक आकर्षक परिदृश्य को दिखाती है। ESA के मुताबिक, मंगल ग्रह पर इस तरह की तस्‍वीर किसी अस्‍तव्‍यस्‍त इलाके के जैसी है। यह उस स्‍थानीय हवा के पैटर्न का संकेत है, जो यहां बहती है। इसी वजह से यह इलाका काफी अलग दिखाई देता है।    ESA ने इस तस्‍वीर को तैयार करने में कुछ फ‍िल्‍टर्स इस्‍तेमाल किए। धूल से भरे ट्रैक्‍स को नीला रंग भी फ‍िल्‍टर के जरिए ही दिया गया है। कुल मिलाकर...

मंगल से सैंपल लेकर आएगा लॉकहीड मार्टिन का रॉकेट, Nasa ने दिया कॉन्‍ट्रैक्‍ट

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अमेरिकी स्‍पेस एजेंसी नासा (NASA) ने बताया है कि लॉकहीड मार्टिन (Lockheed Martin) के स्‍पेस डिविजन ने रॉकेट बनाने के लिए उसका कॉन्‍ट्रैक्‍ट हासिल किया है। यह रॉकेट 2030 के दशक में मंगल ग्रह से पहला रॉक सैंपल लेकर लौटेगा। नासा के मुताबिक, यह ‘छोटा, हल्का रॉकेट' दूसरे ग्रह से उड़ान भरने वाला पहला रॉकेट होगा, जो मंगल की सतह से सैंपल लाएगा। नासा का पर्सवेरेंस रोवर (Perseverance Rover) एक साल पहले मंगल ग्रह पर लैंड करने के बाद विभिन्न इलाकों से सैंपल इकट्ठा कर रहा है।  इस मिशन का मकसद मंगल ग्रह पर जीवन के निशान ढूंढना है। लेकिन यह तभी मुमकिन होगा, जब इन सैंपल्‍स का विश्‍लेषण पृथ्वी पर प्रयोगशालाओं में किया जाएगा। इन सैंपल्‍स को इकट्ठा करके एक जटिल ऑपरेशन के तहत पृथ्वी पर वापस लॉन्च किया जाएगा। लॉकहीड मार्टिन का रॉकेट इसमें प्रमुख भूमिका निभाएगा।  नासा के अनुसार, रॉकेट बनाने के लिए हुए कॉन्‍ट्रैक्‍ट का संभावित मूल्य 194 मिलियन डॉलर (लगभग 1451 करोड़ रुपये) है। नासा के हेडक्‍वॉर्टर में साइंस के एसोसिएट एडमिनिस्‍ट्रेटर थॉमस जुर्बुचेन ने कहा कि पृथ्वी पर लाए जाने के बाद उन सैंपल्‍स की स...

क्‍या मंगल ग्रह पर मौजूद है एलियन? जानें इस तस्‍वीर का सच

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पृथ्‍वी से बाहर जीवन की बात आती है, तो सबसे पहले जेहन में आते हैं एलियंस  (alien)। ऐसे दावों की भरमार है, जो कहते हैं कि एलियंस की भी अपनी एक दुनिया है। पृथ्‍वी पर भी एलियंस के आने के दावे हमने कई रिपोर्ट्स में पढ़े हैं। ताजा दावा मंगल (Mars) ग्रह को लेकर किया गया है। सोशल मीडिया पर चल रही अटकलों के अनुसार, नासा के मार्स रोवर पर्सवेरेंस (Perseverance) ने मंगल ग्रह पर एक एलियन को देखा है। यह अफवाहें तब शुरू हुईं जब एक ब्लॉग राइटर ने सुझाया कि उसने मंगल ग्रह पर एक लटके हुए व्यक्ति को देखा। दावा किया कि नासा के रोवर ने पिछले साल जो इमेज भेजी थीं, उनमें से एक में चट्टानों के बीच सतह पर एलियन लेटा हुआ था। इस पर कई लोगों ने कहा कि यह मंगल ग्रह पर जीवन के संकेत को साबित करता है। हालांकि सच्‍चाई यह है कि वह कोई ‘एलियन' नहीं है।   UFO Sightings Daily blog में लिखते हुए स्कॉट सी वारिंग ने कहा कि उन्हें नासा की तस्वीरें खंगालना पसंद है। दावा किया कि उन्‍हें कुछ अनोखा मिला, जो जीवन का 100 फीसदी प्रूफ है। नासा के मार्स रोवर को देखने के लिए एक व्यक्ति लेटा हुआ है।  अपने ब्‍लॉग में वारिंग ने...

नासा ने मंगल ग्रह पर प्राचीन काल में पानी की उपस्थिति की खोज की

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First Published: February 1, 2022 | Last Updated:February 1, 2022 मार्स रेकांसेंस ऑर्बिटर (Mars Reconnaissance Orbiter) ने खोज की है कि मंगल पर दो अरब साल पहले पानी था। लेकिन आज ग्रह का सारा पानी वाष्पित हो चुका है। इसकी पुष्टि MRO ने ग्रह की सतह पर जमा नमक की मदद से की। मुख्य बिंदु  MRO ने पाया कि कुछ समय तक मंगल ग्रह पर पानी बहता है। नासा के ओडिसी ने सोडियम क्लोराइड के निशान पाए जो के सैकड़ों वर्ग किलोमीटर तक फैले हुए थे। यह 2001 में खोजा गया था। बाद में 2008 में नमक खनिज पाए गए। MRO ने पानी की खोज कैसे की? MRO ने ग्रह के दक्षिणी गोलार्ध में लवणों का मानचित्रण करने के लिए CRISM का उपयोग किया। CRISM का अर्थ Compact Reconnaissance Imaging Spectrometer है। मंगल ग्रह में कई क्रेटर हैं। MRO ने ज्वालामुखीय मैदानों के उथले अवसादों के साथ नमक के भंडार की खोज की। ये भंडार तीन मीटर से भी कम गहरे थे। इनका गठन लगभग 2.3 अरब साल पहले हुआ था। निष्कर्ष इस खोज का निकटतम एनालॉग अंटार्कटिका है। जब अंटार्कटिका में बर्फ पिघलती है तो झीलें बनती हैं। इसी तरह जब मंगल क...

मंगल ग्रह है या रेड वेलवेट केक, यूरोपियन स्‍पेस एजेंसी ने दिखाई Mars की शानदार तस्‍वीर

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मंगल (Mars) ग्रह लंबे समय से खगोलविदों के लिए पहेली रहा है। हाल ही में यूरोपियन स्‍पेस एजेंसी (ESA) ने एक इमेज रिलीज की है। यह मंगल ग्रह के आसपास के इलाके को दर्शाती है। इस तस्‍वीर को ‘ट्रेस गैस ऑर्बिटर' (TGO) ने खींचा है। इसमें मंगल ग्रह बेहद खूबसूरत नजर आता है, जैसे कोई केक सजाया गया हो। ESA ने कहा है कि यह इमेज मंगल ग्रह को ऐसा दिखाती है, जैसे एक ‘रिच रेड वैलवेट केक' पर शुगर पाउडर छिड़का गया है।  लेकिन शुगर पाउडर जैसा दिखने वाला यह वाइट कलर क्‍या है और कहां से आया? ESA ने बताया है कि यह कलर पानी और बर्फ की वजह से है। वहीं, रेड कलर जंग लगी हुई मार्टियन मिट्टी की वजह से नजर आता है। इस इमेज में 4 किलोमीटर चौड़ा गड्ढा भी दिखाई देता है। ESA के मुताबिक, यह गड्ढा वास्तिटास बोरेलिस रीजन में है, जोकि मंगल ग्रह के उत्तरी ध्रुव के पास एक मैदानी इलाका है। ESA और रूसी स्‍पेस एजेंसी रोस्कोस्मोस (Roscosmos) के जॉइंट मिशन TGO ने पिछले साल जुलाई में यह तस्‍वीर खींची थी।  ESA ने बताया कि तस्‍वीर में नजर आने वाला गड्ढा बर्फ से भरा है। इस इलाके में पूरे साल बहुत कम समय के लिए सूर्य दिखाई द...