पेगासस जासूसी मुद्दे पर विशेषाधिकार प्रस्ताव पेश किया गया
30 जनवरी, 2022 को कांग्रेस ने लोकसभा में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव के खिलाफ विशेषाधिकार प्रस्ताव लाने के लिए एक नोटिस दिया, जिसमें आरोप लगाया गया है कि उन्होंने पेगासस स्पाइवेयर मुद्दे पर सदन को गुमराह किया था। ऐसा ही नोटिस राज्यसभा में भी जारी किया जाएगा।
मुख्य बिंदु
- विशेषाधिकार प्रस्ताव को एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए पेश किया गया था कि, भारत ने हथियारों के लिए 2 बिलियन अमरीकी डालर के पैकेज के हिस्से के रूप में 2017 में इजरायली स्पाइवेयर खरीदा था।
- विपक्ष ने सरकार पर राजनीतिक नेताओं, न्यायाधीशों, पत्रकारों और नागरिक समाज के कार्यकर्ताओं की जासूसी करने के लिए इजरायली स्पाइवेयर पेगासस का उपयोग करने का आरोप लगाया है।
सरकार का रुख
सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि उसने कभी भी NSO समूह से पेगासस स्पाइवेयर नहीं खरीदा है।
पूरा मामला क्या है?
मीडिया समूहों के एक वैश्विक संघ ने जुलाई 2021 में रिपोर्ट किया था कि पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल दुनिया भर की कई सरकारों द्वारा व्यापारियों, पत्रकारों और विरोधियों आदि पर जासूसी करने के लिए किया गया था। भारत में, द वायर ने रिपोर्ट दी थी कि सरकार ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को निशाना बनाने के लिए स्पाइवेयर का इस्तेमाल किया था। इसमें सूची में अन्य नाम तत्कालीन चुनाव आयुक्त अशोक लवासा, राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर इत्यादि शामिल हैं। इस सूची में करीब 40 पत्रकारों का भी जिक्र है।
पेगासस क्या है?
पेगासस एक प्रकार का मैलवेयर या सॉफ़्टवेयर है, जिसे स्पाइवेयर के रूप में वर्गीकृत किया गया है। यह उपकरणों तक पहुंच प्राप्त करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह उपयोग की व्यक्तिगत जानकारी, उनकी जानकारी के बिना एकत्र करता है और इसे उन लोगों को वापस भेज देता है जो जासूसी करने के लिए स्पाइवेयर का उपयोग कर रहे हैं।
इसे किसने विकसित किया है?
पेगासस को इजरायली फर्म NSO Group द्वारा विकसित किया गया है। NSO समूह 2010 में स्थापित किया गया था। पेगासस के सबसे पुराने संस्करण में स्पीयर-फ़िशिंग, ईमेल या टेक्स्ट संदेशों के माध्यम से फ़ोन संक्रमित किये जाते थे। इसे 2016 में शोधकर्ताओं ने कैप्चर किया था।
साइबर हमले के खिलाफ भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदम
- साइबर सुरक्षित भारत पहल : साइबर अपराध पर जागरूकता फैलाने और सुरक्षा उपायों के लिए क्षमता निर्माण करने के उद्देश्य से यह पहल 2018 में शुरू की गई थी।
- राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा समन्वय केंद्र (NCCC) : NCCC को 2017 में भारत में इंटरनेट ट्रैफिक और संचार मेटाडेटा को स्कैन करने के लिए, वास्तविक समय के साइबर खतरों का पता लगाने के लिए विकसित किया गया था।
- साइबर स्वच्छता केंद्र : इसे 2017 में इंटरनेट यूजर्स के लिए मैलवेयर और वायरस को मिटाकर अपने उपकरणों की सफाई के लिए लॉन्च किया गया था।
- कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम – इंडिया (CERT-IN ): CERT-IN नोडल एजेंसी है, जो फ़िशिंग और हैकिंग जैसे साइबर सुरक्षा खतरों से निपटती है।
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