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नई खोज : 43 करोड़ साल से लग रही जंगलों में आग, वैज्ञानिकों ने खोज निकाली वह जगह

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जंगलों में लगने वाली आग ने हाल के वर्षों में जानवरों और स्थानीय लोगों के लिए खतरा पैदा किया है। आपको जानकर हैरानी होगी कि जंगलों में आग करोड़ों वर्षों से लगती रही है। वैज्ञानिकों ने दुनिया के सबसी पुरानी जंगल की आग की खोज की है। वेल्स (Wales) और पोलैंड (Poland) में पाए गए 43 करोड़ वर्ष पुराने चारकोल की मदद से इसका पता चला है। यानी 43 करोड़ साल पहले जंगलों में आग लगती थी। इससे पता चलता है कि सिलुरियन (Silurian period) काल के दौरान पृथ्वी पर जीवन कैसा था। उस समय पौधे का जीवन दोबारा जीवन के लिए काफी हद तक पानी पर निर्भर होता था। सूखे इलाकों में पौधों के पनपने की संभावना नहीं होती थी। तब जंगलों में आग ज्‍यादातर बार छोटी वनस्‍पति के जरिए ही लगती थी।  रिसर्चर्स के अनुसार, प्राचीन फंगस ‘प्रोटोटैक्साइट्स' (Prototaxites) पेड़ों के बजाए पर्यावरण पर हावी रहे होंगे। इनके सटीक आकार का तो पता नहीं, पर कहा जाता है कि यह लगभग 30 फीट की ऊंचाई तक रहे होंगे।  रिपोर्ट के अनुसार, जंगल की आग को लंबे समय तक टिके रहने के लिए ईंधन की जरूरत होती होगी। यह काम पौधे करते होंगे। इसके अलावा, आग लगने के लिए ब...

क्‍या सचमुच एलियंस ने हमें भेजा था 'Wow! सिग्‍नल? वैज्ञानिकों ने खोज निकाली वह जगह

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एलियंस हमारी दुनिया के लिए हमेशा से रहस्‍य और उत्‍सुकता बने हुए हैं। ऐसे दावों की कमी नहीं है, जिनमें एलियंस के होने की बात कही जाती है। रिसर्चर्स इन दावों की पड़ताल में जुटे हुए हैं। इन्‍हीं में से एक है वो ब्रॉडकास्‍ट, जिसे ‘एलियन ब्रॉडकास्‍ट' कहा जाता है। यह बात साल 1977 की है। अमेरिका में एक रेडियो टेलीस्कोप को नैरोबैंड रेडियो सिग्नल मिला। इसे वाव (Wow) सिग्‍नल के रूप में जाना जाता है। इस सिग्‍नल ने वैज्ञानिकों को हैरान कर दिया था क्‍योंकि साइंटिस्‍ट इसकी उत्पत्ति का पता नहीं लगा पाए थे। कहा जा रहा है कि अब वैज्ञानिकों को इसका जवाब मिल गया है।  आधी सदी पहले आए इस सिग्‍नल के सोर्स को लेकर वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया है कि यह 1800 प्रकाश-वर्ष दूर सैजिटेरीअस तारामंडल में स्थित एक सूर्य जैसे तारे से आया होगा। खगोलशास्त्री अल्बर्टो कैबलेरो ने लाइव साइंस को बताया कि "वाव! सिग्नल को सबसे बेस्‍ट SETI कैंडिडेट रेडियो सिग्नल माना जाता है, जिसे हमारे टेलीस्‍कोपों ने पिक किया है। नासा के अनुसार, SETI या दूसरे ग्रहों की खोज वह क्षेत्र है, जिसके तहत 20वीं सदी के मध्य से ऐसे संदेशों ...

शरीर के अंदर तंग जगहों पर जानें के लिए तैरने का तरीका बदल देते हैं बैक्टीरिया

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एक नई स्टडी से पता चला है कि बैक्टीरिया तंग जगहों से गुजरते हुए अपने तैरने के पैटर्न को बदलते हैं। अमेरिका में हवाई यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स का कहना है कि बैक्टीरिया के व्यवहार में अचानक आया बदलाव हैरान करने वाला है। उन्होंने पाया कि बैक्टीरिया ने एक लाइन बनाई, और खुली जगहों के विपरीत कैद से बचने के लिए एक सीधी लाइन में तैरना शुरू कर दिया। खुली जगहों में, ये बैक्टीरिया बिना किसी खास पैटर्न के अपने मनमाने ढंग से घूमते हुए दिखाई दिए। बैक्टीरिया लगभग सभी जीवों के शरीर पर या उनके भीतर सहजीवी के रूप में रहते हैं। रिसर्चर्स को उम्मीद है कि उनकी स्टडी यह समझने में मदद कर सकती है कि इंसानी माइक्रोबायोम में बैक्टीरिया कैसे रहते हैं। माइक्रोब्स (सूक्ष्मजीव) अक्सर जटिल रास्ते अपनाते हैं, यहां तक ​​कि शरीर के टिशू के बेहद छोटे छेदों के जरिए भी निकल जाते हैं। यह स्टडी दिखाती है कि तंग जगह बैक्टीरिया के लिए एक संकेत के रूप में काम कर सकते हैं कि जटिल वातावरण से कैसे नेविगेट किया जाए।   इस स्टडी के लिए रिसर्चर्स ने विब्रियो फिशरी (Vibrio fischeri) का इस्तेमाल किया। यह एक रॉड की शेप का जीवाणु होत...

असम : स्थानीय चुनावों में बैलट पेपर की जगह EVM का इस्तेमाल किया जायेगा

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First Published: March 9, 2022 | Last Updated:March 9, 2022 असम के मंत्रिमंडल ने मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा की अध्यक्षता में हुई बैठक में गुवाहाटी नगर निगम के चुनावों में कागजी मतपत्रों को इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) से बदलने के प्रस्ताव को मंजूरी दी। मुख्य बिंदु  गुवाहाटी नगर निगम (संशोधन) विधेयक, 2022 को मतपत्रों को EVM से रीप्लेस करने के लिए जो मंजूरी दी गई थी, यह घोषणा चुनावों में दक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से की गई है। इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM)  इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) वोटिंग मशीन हैं जो वोट डालने और गिनने में मदद करती हैं। मतदान इकाई और नियंत्रण इकाई ईवीएम के दो भाग हैं। एक केबल इन इकाइयों को आपस में जोड़ती है। पीठासीन अधिकारी या मतदान अधिकारी EVM की कंट्रोल यूनिट का प्रभारी होता है। बैलेट यूनिट को वोटिंग कंपार्टमेंट में रखा जाता है ताकि कोई व्यक्ति अपना वोट डाल सके। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि मतदान अधिकारी किसी की पहचान की पुष्टि कर सके। मशीन पर उम्मीदवारों के नाम और/या प्रतीकों की एक सूची होती है जिसके ...

जर्मनी के एक स्कूल में थर्ड स्टैंडर्ड के बीमार स्टूडेंट की जगह पढ़ाई करने जाता है रोबोट!

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जर्मनी में एक 7 साल का बच्चा बीमार पड़ा तो उसकी जगह रोबोट स्कूल जाने लगा। यह रोबोट क्लास में उस बच्चे की जगह बैठता है। Joshua Martinangeli नाम के इस स्टूडेंट की पढ़ाई में रुकावट न आए इसके लिए उसका रोबोट अवतार स्कूल की क्लास में जाता है। जब भी जोशुआ को कुछ कहना होता है तो यह रोबोट पलकें झपकाता है।  बर्लिन में Pusteblume-Grundschule की हेडमिस्ट्रेस Ute Winterberg ने रॉयटर्स को एक इंटरव्यू में बताया, "क्लास के बच्चे उससे (रोबोट से) बात करते हैं, उसके साथ हंसते हैं और पढ़ाई के वक्त उससे चिट-चैट भी करते हैं।" जोशुआ की मां Simone Martinangeli ने बताया कि उसका बेटा स्कूल में क्लासेज अटेंड नहीं कर सकता है क्योंकि फेफड़ों की गंभीर बीमारी के कारण उसकी गर्दन में एक ट्यूब पहनाई गई है।  रोबोट अवतार का यह प्रोजेक्ट बर्लिन के Marzahn-Hellersdorf डिस्ट्रिक्ट में एक लोकल काउंसिल के माध्यम से प्राइवेट पेड बेसिस पर चलाया जा रहा है। काउंसिल का कहना है कि जिले में इसने स्कूलों के लिए इस तरह के 4 रोबोट अवतार उपलब्ध करवाए हैं। इसके पीछे की प्रेरणा थी- कोरोना महामारी। काउंसिल का मानना है कि महाम...