नई खोज : 43 करोड़ साल से लग रही जंगलों में आग, वैज्ञानिकों ने खोज निकाली वह जगह
रिसर्चर्स के अनुसार, प्राचीन फंगस ‘प्रोटोटैक्साइट्स' (Prototaxites) पेड़ों के बजाए पर्यावरण पर हावी रहे होंगे। इनके सटीक आकार का तो पता नहीं, पर कहा जाता है कि यह लगभग 30 फीट की ऊंचाई तक रहे होंगे।
रिपोर्ट के अनुसार, जंगल की आग को लंबे समय तक टिके रहने के लिए ईंधन की जरूरत होती होगी। यह काम पौधे करते होंगे। इसके अलावा, आग लगने के लिए बिजली गिरने और आग जलने के लिए पर्याप्त ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। रिसर्चर्स के अनुसार, आग फैलने और चारकोल की मौजूदगी बताती है कि तब पृथ्वी के वायुमंडल में ऑक्सीजन का स्तर कम से कम 16 प्रतिशत था। हालांकि फाइंडिंग्स बताती हैं कि 43 करोड़ वर्ष पहले वायुमंडल में ऑक्सीजन का स्तर 21 फीसदी या शायद इससे ज्यादा था।
वैज्ञानिक सिद्धांत के अनुसार, पौधे के जीवन और प्रकाश संश्लेषण (photosynthesis) में बढ़ोतरी जंगल में आग लगने के दौरान वहां ऑक्सीजन के चक्र को तेज करने में योगदान देती हैं। उस ऑक्सीजन चक्र की बारीकियों को समझने से वैज्ञानिकों को यह पता चलता है कि जीवन कैसे विकसित हुआ होगा।
रिसर्च टीम में शामिल कोल्बी कॉलेज के जीवाश्म विज्ञानी रॉबर्ट गैस्टाल्डो ने कहा कि सिलुरियन इलाके में जंगल की आग को फैलाने के लिए पर्याप्त वनस्पति मौजूद है। गैस्टाल्डो ने कहा कि जिस समय हम सैंपल ले रहे थे, वहां पर्याप्त बायोमास था। यह बताने के लिए काफी था कि जंगल में आग लगने के लिए वहां पर्याप्त सैंपल मौजूद थे।
रिसर्चर्स ने अपने शोध के लिए जिन दो साइट्स को चुना, अनुमान है कि वो तब अवलोनिया और बाल्टिका के प्राचीन महाद्वीपों पर रही होंगी। वैज्ञानिकों की यह खोज उस रिकॉर्ड को भी तोड़ देती है, जिसके मुताबिक जंगल की सबसे पुरानी आग 1 करोड़ साल पहले लगी थी। इसके अलावा यह पृथ्वी के इतिहास में जंगलों की आग के महत्व पर भी जोर देती है।
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