Posts

Showing posts with the label नच

चीन में 630 फीट गहरे सिंकहोल के नीचे मिला विशाल जंगल

Image
ये दुनिया अनग‍िनत रहस्‍यों से भरी है, जहां हर रोज कुछ ना कुछ खोज के रूप में हमें हैरान करता है। अब चीन में वैज्ञानिकों की टीम ने विशाल सिंकहोल की खोज की है, जिसके नीचे जंगल है। रिपोर्टों के अनुसार, यह सिंकहोल 630 फीट (192 मीटर) गहरा है। वैज्ञानिकों की एक टीम इस सिंकहोल के अंदर दाखिल हुई और वहां का नजारा देखकर हैरान रह गई। उन्‍हें खाई में तीन एंट्री पॉइंट मिले। इसके साथ ही करीब 40 मीटर ऊंचे पेड़ दिखे। सूर्य की रोशनी हासिल करने के लिए ये पेड़ अपनी लंबी शाखाओं की मदद लेते हैं। चीन के गुआंग्शी ज़ुआंग ऑटोनॉमस रीजन की लेये काउंटी में इन पेड़ों और जंगल की खोज की गई है। माना जा रहा है कि इनमें ऐसी प्रजातियां भी हो सकती हैं, जिन्हें अभी तक खोजा नहीं गया है। सिंकहोल का निर्माण एसिडिक वर्षा जल की वजह से होता है। इसकी वजह से मिट्टी अपनी जगह से हटने लगती है और वहां छेद होने लग जाता है। ये छेद काफी बड़े हो जाते हैं, तो आसपास की मिट्टी और पत्‍थरों को ढहा देते हैं, जिससे एक सिंकहोल बन जाता है। livescience की रिपोर्ट के अनुसार, सिंकहोल के अंदर तीन प्रवेश द्वारा मिले। ये 1,004 फीट लंबे और 492 फीट चौ...

समुद्र के नीचे मंडरा रहा है 'शार्ककैनो' नाम का खतरा कभी भी फट सकता है, NASA की चेतावनी!

Image
सोलोमन (Solomon) द्वीप में कवाची ज्वालामुखी (Kavachi Volcano) प्रशांत महासागर (Pacific Ocean) में सबसे सक्रिय सबमरीन ज्वालामुखियों में से एक है। NASA भी इसे लेकर गंभीर दिखाई दे रहा है। स्मिथसोनियन ग्लोबल ज्वालामुखी कार्यक्रम के अनुसार, यह ज्वालामुखी अक्टूबर 2021 में विस्फोट फेज़ में दाखिल हो गया था, जिसके बाद सैटेलाइट डेटा में देखा गया कि अप्रैल और मई 2022 के बीच कई दिन कवाची के आसपास के पानी का रंग भी बदला हुआ था। NASA के Earth Observatory ने अपने एक ब्लॉग में 14 मई, 2022 को Lansat 9 पर ऑपरेशनल लैंड इमेजर -2 (OLI-2) द्वारा ली गई तस्वीर को शेयर किया, जिसमें सबमरीन वोल्केनो से निकलने वाला फीका पड़ा पानी दिखाई दे रहा है। यह मटमैले पानी कई किलोमीटर तक फैला दिखाई दे रहा है। 2008 में की गई एक स्टडी पर रोशनी डालते हुए ब्लॉग कहता है कि सुपरहीटेड, अम्लीय पानी के ऐसे प्लम में आमतौर पर पार्टिकुलेट मैटर, ज्वालामुखीय चट्टान के टुकड़े और सल्फर होते हैं। ज्वालामुखी के लिए 2015 के एक वैज्ञानिक अभियान में पाया गया था कि पानी में डूबे इस क्रेटर में दो प्रजातियों की शार्क रहती हैं, जिनमें से एक हैमर...

स्टारलिंक के 40 उपग्रह भू-चुंबकीय तूफान (Geomagnetic Storm) के कारण कक्षा से नीचे गिरे

Image
First Published: February 11, 2022 | Last Updated:February 11, 2022 एलोन मस्क (Elon Musk) के स्टारलिंक (Starlink) ने दर्जनों उपग्रह खो दिए क्योंकि वे 3 फरवरी, 2022 को लॉन्च होने के बाद एक भू-चुंबकीय तूफान (geomagnetic storm) में फंस गए थे। मुख्य बिंदु  स्टारलिंक ने 49 उपग्रहों को लॉन्च किया था, जिनमें से 40 प्रभावित हुए। यह उपग्रह चालू होने से पहले ही कक्षा से नीचे गिर गये। फाल्कन 9 लॉन्चर के दूसरे चरण ने उपग्रहों को उनकी इच्छित कक्षा में पृथ्वी से लगभग 210 किमी ऊपर की परिधि के साथ तैनात किया। प्रत्येक उपग्रह ने नियंत्रित उड़ान हासिल की। लेकिन उपग्रह एक भू-चुंबकीय तूफान से प्रभावित हो गये। अंतरिक्ष में मलबे के निर्माण से बचने के लिए इन उपग्रहों को पृथ्वी के वायुमंडल में फिर से प्रवेश करते समय जलने के लिए डिज़ाइन किया गया था। सौर तूफान या फ्लेयर्स क्या हैं? सौर तूफान चुंबकीय प्लाज्मा होता है, जिन्हें सौर सतह से बड़ी गति से बाहर निकाला जाता है। वे चुंबकीय ऊर्जा की निकासी के दौरान आते हैं, जो सनस्पॉट (सूर्य पर अंधेरे क्षेत्रों) से जुड़े होते हैं। यह कुछ...

शनि ग्रह के छोटे से चंद्रमा के नीचे हो सकता है महासागर, मिले सबूत

Image
बृहस्पति के बाद हमारे सौरमंडल का दूसरा सबसे बड़ा ग्रह शनि (Saturn) है। इसने हमेशा वैज्ञानिकों और शौकिया खगोलविदों का ध्यान अपनी ओर खींचा है। शनि के चारों ओर लगे छल्लों को देखकर इसे आसानी से पहचाना जा सकता है। लेकिन इसकी एक और विशेषता है इस ग्रह के 60 से ज्‍यादा चंद्रमा। इन चंद्रमाओं में से एक ने हाल में वैज्ञानिकों की जिज्ञासा को जगाया है। एक नई रिसर्च के अनुसार, इस ग्रह की परिक्रमा करने वाले एक छोटे से चंद्रमा मीमास (Mimas) की जमी हुई सतह के नीचे एक महासागर छिपा हो सकता है। मीमास में घुमावदार घूर्णन होता है और वैज्ञानिकों का मानना है कि यह इसके अंदर मौजूद महासागर की वजह से है। हालांकि महासागरों वाले बाकी चंद्रमाओं से उलट मीमास की सतह पर ऐसा कोई निशान नहीं है, जो इसके नीचे महासागर का संकेत देता है। यह रिसर्च इकारस जर्नल में प्रकाशित हुई है। रिसर्चर एलिसा रोडेन और उनके सहयोगी मैथ्यू वॉकर ने महसूस किया कि यह चंद्रमा अपनी सतह के 14 से 20 मील बर्फ के नीचे पानी को रख सकता है। बर्फीले उपग्रहों की जियोफ‍िजिक्‍स के स्‍पेशलिस्‍ट और नासा के नेटवर्क फॉर ओशन वर्ल्ड्स रिसर्च कोऑर्डिनेशन नेटवर्...