NASA के नए सिस्‍टम की लॉन्‍चिंग 4 दिसंबर को, ‘लेजर’ की स्‍पीड से अंतरिक्ष से आएगा डेटा

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा स्‍पेस में एक लेजर तकनीक का परीक्षण करने के लिए तैयार है। इस मिशन का मकसद स्‍पेस कम्‍युनिकेशन को तेजी देना है। करीब दो साल की देरी के बाद 4 दिसंबर को  लेजर कम्युनिकेशंस रिले डिमॉन्स्ट्रेशन (एलसीआरडी) को लॉन्च किया जाएगा। रक्षा विभाग द्वारा, स्पेस टेस्ट प्रोग्राम सैटेलाइट-6 (STPSat-6) मिशन के दौरान यूनाइटेड लॉन्च अलायंस एटलस V रॉकेट पर इसे लॉन्‍च किया जाएगा। मिशन को फ्लोरिडा के केप कैनावेरल स्पेस फोर्स स्टेशन से लॉन्च किए जाने की उम्मीद है।

इस मिशन में देरी के बावजूद इन्‍वेस्टिगेटर्स का मानना है कि एलसीआरडी को सही समय पर लॉन्च किया जाएगा, ताकि 2025 में लॉन्‍च होने वाले आर्टेमिस मून-लैंडिंग मिशन को इसका फायदा मिल सके। स्‍पेस कम्‍युन‍िकेशन में लेजर के इस्‍तेमाल पर नासा ने विस्तार से बताया है। कहा है कि इस तकनीक से रेडियो फ्रीक्वेंसी की तुलना में 10 से 100 गुना अधिक डेटा को पृथ्वी पर वापस भेजा जा सकता है।

नासा के स्पेस कम्युनिकेशंस एंड नेविगेशन प्रोग्राम के डिप्टी एसोसिएट एडमिनिस्ट्रेटर बद्री यूनुस ने कहा कि अगर मिशन ने लेजर का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया तो यह रेडियो फ्रीक्वेंसी स्पेक्ट्रम की भीड़भाड़ को भी रोक देगा। एलसीआरडी कैसे काम करेगा, यह दिखाने के लिए नासा के यूट्यूब चैनल पर एक वीडियो भी शेयर किया है।

पृथ्वी की निचली कक्षाओं में उपग्रहों के समूहों की संख्या में बढ़ोतरी होने से रेडियोफ्रीक्वेंसी स्पेक्ट्रम की भीड़भाड़ तेज हो गई है। ऐसे में एलसीआरडी की अहमियत बढ़ जाती है, क्‍योंकि नासा और कमर्शल सेक्‍टर, आर्टेमिस का इस्‍तेमाल करके कई स्‍पेश मिशन्‍स की योजना बना रहे हैं।

नासा के स्‍पेस टेक्‍नॉलजी मिशन डायरेक्‍टरेट में टेक्‍नॉलजी प्रदर्शनों के डायरेक्‍टर, ट्रुडी कॉर्ट्स ने कहा कि यह नया सिस्‍टम हाई डेटा ट्रांसमिशन रेट देगा। यह वॉल्यूम में छोटा होगा, वजन कम होगा और मौजूदा टेक्‍नॉलजी की तुलना में कम बिजली का उपयोग करेगा। इस मिशन की योजना को 2011 में मंजूरी दी गई थी। 2018 में इसके डिजाइन में और कुछ दूसरी चीजों में बदलाव के लिए कहा गया था। 

बाद में कोरोना महामारी की वजह से सप्‍लाई चेन जैसे इशू सामने आए। नासा के अधिकारियों ने यह भी कहा कि यूएस स्पेस फोर्स द्वारा होस्ट किए गए पेलोड में जाने को लेकर भी कुछ नई जरूरतें हैं, जिस वजह से इसकी लॉन्‍च तारीख में और देरी हुई।
 

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