अहम कैम्प से पहले राजस्थान में संतुलन बनाने की कोशिश में है कांग्रेस
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सूत्रों के अनुसार, सचिन पायलट पिछले कुछ हफ्तों के दौरान गांधी परिवार से तीन बार मुलाकात कर चुके हैं.
पिछले सप्ताह सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद सचिन पायलट ने पत्रकारों से कहा था, "मैंने इस बारे में बात की है कि कैसे ढर्रे को तोड़ा जा सकता है, और राजस्था में सत्ता में लौटा जा सकता है... मैंने सचमुच कड़ी मेहनत की है, और पार्टी को आगे देखना चाहिए..."
सचिन पायलट ने ज़ोर देकर यह भी कहा कि उन्हें अपनी भूमिका को लेकर फैसला आलाकमान पर छोड़ दिया है. उन्होंने कहा, "मैंने हमेशा साफ-साफ कहा है कि किसी भी भूमिका में अपना काम करूंगा, लेकिन मैं अपने राज्य राजस्थान पर निश्चित रूप से फोकस करना चाहूंगा..."
राजस्थान में दिसम्बर, 2023 में विधानसभा चुनाव होने हैं.
दो साल पहले, सचिन पायलट ने 18 विधायकों को साथ लेकर विद्रोह किया था, जिसके चलते मुख्यमंत्री अशोक गहलोत 100 से भी ज़्यादा विधायकों को एक रिसॉर्ट पर टिकाने के लिए विवश हो गए थे. गांधी परिवार कई हफ्तों तक तनावपूर्ण माहौल में तल्ख बातचीत के बाद ही सचिन पायलट को पीछे हटने के लिए राज़ी कर पाया था, और उनसे वादा किया गया था कि उनके समर्थकों को गहलोत मंत्रिमंडल में जगह दी जाएगी.
पिछले माह, सचिन पायलट की गांधी परिवार से मुलाकात ने नए सिरे से इन अटकलों को हवा दी है कि उनका सब्र का पैमाना छलक रहा हो सकता है. आखिर, ज्योतिरादित्य सिंधिया और जितिन प्रसाद जैसे उनके कई साथी कांग्रेस का साथ छोड़कर भारतीय जनता पार्टी (BJP) में शामिल हो चुके हैं.
परन्तु, कांग्रेस के वरिष्ठतम नेताओं में से एक अशोक गहलोत भी साबित कर चुके हैं कि वह राज्य की कमान संभाले रखने के लिए कुछ भी कर सकते हैं. उनके पास कांग्रेस के अधिकतर विधायकों का समर्थन है, और सोनिया गांधी का भरोसा भी. प्रशांत किशोर को लेकर हुई नेतृत्व की बैठक में शिरकत के लिए रवाना होते हुए रविवार को गहलोत ने पत्रकारों से कहा था, "मेरा इस्तीफा हमेशा सोनिया गांधी के पास मौजूद रहता है..."
सचिन पायलट को संतुष्ट करने के लिए कांग्रेस ने कथित रूप से उन्हें अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी महासचिव पद (यही पद प्रियंका गांधी वाड्रा के पास है) दिए जाने की पेशकश की है, लेकिन उन्होंने यह कहकर इंकार कर दिया है कि वह राजस्थान और अपने मूल समर्थकों से दूर नहीं जाना चाहते.
बताया गया है कि सचिन पायलट से वर्ष 2023 से रुके रहने और अगले विधानसभा चुनाव में पार्टी का नेतृत्व करने के लिए कहा गया है.
फिलहाल, कांग्रेस ने इस मुद्दे पर निर्णय राजस्थान के उदयपुर में 13-15 मई को होने वाले चिंतन शिविर के बाद तक के लिए टाल दिया है. हालिया चुनावी पराजयों के बाद कांग्रेस द्वारा घोषित किए गए कदमों में से एक के तौर पर होने जा रही इस बैठक में अशोक गहलोत के हावी रहने की पूरी संभावना है.
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