HomoSEP: सेप्टिक टैंक को साफ करने के लिए IIT मद्रास ने रोबोट बनाया
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास ने सेप्टिक टैंक को साफ करने और भारत में हाथ से मैला ढोने की प्रथा को खत्म करने के लिए एक रोबोट विकसित किया है। इसे फील्ड में लगाने की तैयारी है। इस रोबोट का नाम HomoSEP है।
मुख्य बिंदु
- पूरे तमिलनाडु में कुल दस रोबोट तैनात करने की योजना है।
- शोधकर्ता स्थानों की पहचान के लिए स्वच्छता कार्यकर्ताओं के संपर्क में हैं।
- महाराष्ट्र और गुजरात के कुछ स्थानों पर भी विचार किया जा रहा है।
यह रोबोट किसने विकसित किया है?
HomoSEP रोबोट को IIT मद्रास के प्रो. प्रभु राजगोपाल के नेतृत्व में एक टीम ने IIT मद्रास-इनक्यूबेटेड स्टार्ट-अप सोलिनास इंटीग्रिटी प्राइवेट लिमिटेड (Solinas Integrity Private Limited) के सहयोग से विकसित किया है। यह सफाई कर्मचारी आंदोलन एनजीओ द्वारा भी समर्थित है, जो भारत में मैला ढोने की प्रथा को खत्म करने के लिए समर्पित है।
सेप्टिक टैंक कैसे खतरनाक हैं?
सेप्टिक टैंक एक जहरीला वातावरण है। यह अर्ध-ठोस और अर्ध-द्रव मानव मल सामग्री से भरा होता है। मैनुअल स्कैवेंजिंग के कारण, देश भर में हर साल सैकड़ों मौतें होती हैं, हालांकि मैनुअल स्कैवेंजिंग पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
पृष्ठभूमि
HomoSEP रोबोट को सबसे पहले दिवांशु कुमार द्वारा अंतिम वर्ष के मास्टर्स प्रोजेक्ट के रूप में विकसित किया गया था। इसे IIT मद्रास कार्बन ज़र्प चैलेंज 2019 में प्रदर्शित किया गया था।
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