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भारत की जीवन प्रत्याशा (life expectancy) बढ़कर 69.7 हुई : SRS डाटा

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First Published: June 16, 2022 | Last Updated:June 16, 2022 नमूना पंजीकरण प्रणाली (sample registration system – SRS) के आंकड़ों के अनुसार, 2015-2019 के दौरान जन्म के समय भारत की जीवन प्रत्याशा 69.7 तक पहुंच गई है। मुख्य निष्कर्ष भारत की जीवन प्रत्याशा अभी भी वैश्विक औसत 72.6 से नीचे है। आंकड़ों से पता चलता है कि, पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर एक कारण हो सकता है, जिसके कारण भारत में जन्म के समय जीवन प्रत्याशा को बढ़ाना मुश्किल हो जाता है। जन्म के समय जीवन प्रत्याशा और एक वर्ष या पांच वर्ष में जीवन प्रत्याशा के बीच का अंतर मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में सबसे अधिक है, जहां शिशु मृत्यु दर सबसे अधिक है। मध्य प्रदेश में सबसे अधिक 43 की शिशु मृत्यु दर है। जन्म पर जीवन प्रत्याशा भारत में जन्म के समय जीवन प्रत्याशा में 20 साल की वृद्धि हुई है, जो 1970-75 में 49.7 से बढ़कर 2015-2019 में 69.7 हो गई है। राज्यों में, ओडिशा में सबसे अधिक 45.7 से 69.8 की वृद्धि देखी गई। ओडिशा के बाद तमिलनाडु (49.6 से बढ़कर 7...

एलियंस की खोज में चीन! पृथ्‍वी से बाहर जीवन की तलाश के लिए बनाया मिशन

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साइंस बरसों से इस कोशिश में है कि पृथ्‍वी के नजदीक किसी ऐसे ग्रह का पता लगा सके, जहां जीवन मुमकिन हो। दुनियाभर के वैज्ञानिक कई साल से इन ग्रहों की खोज में जुटे हैं, लेकिन उन्‍हें कोई बड़ी कामयाबी अबतक नहीं मिल पाई है। बहरहाल अब चीन ने इस मिशन को अपने हाथ में लिया है। उसने एक ऐसे मिशन का प्रस्‍ताव रखा है, जो ऐसे ग्रहों की खोज में एक अलग रास्‍ता अपना सकता है। चीनी वैज्ञानिकों को उम्‍मीद है कि यह मिशन पृथ्‍वी से बाहर इन ग्रहों को लेकर पुख्‍ता नजर‍िया पेश कर सकता है। इस मिशन का नाम है क्लोजबाय हैबिटेबल एक्सोप्लैनेट सर्वे (CHES)। इस मिशन के तहत चीन हमारी पृथ्‍वी के आसपास स्थित तारों पर मौजूद ग्रहों की परिक्रमा के असर को जानेगा। इन ग्रहों को एक्‍सोप्‍लैनेट कहा जाता है। ऐसे ग्रह जो सूर्य के अलावा अन्य तारों की परिक्रमा करते हैं, वो एक्सोप्लैनेट कहलाते हैं। मिशन के जरिए यह समझने की कोशिश की जाएगी कि क्‍या फलां ग्रह में जीवन को बनाए रखने की क्षमता है। अगर ऐसा होता है, तो यह विज्ञान के लिए एक बड़ी उपलब्धि हो सकती है। बताया जाता है कि इस मिशन को एक स्‍पेसक्राफ्ट के जरिए पूरा किया जाएगा।  रिपो...

मंगल पर कभी था जीवन? वैज्ञानिकों ने स्टडी किया 1.3 अरब साल पुराना उल्का पिंड

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मंगल ग्रह के बारे में एक सवाल हर किसी के मन में उठता है। चूंकि यह पृथ्वी के करीबी ग्रहों में से है, तो क्या यहां पर कभी जीवन रहा होगा? वैज्ञानिकों को भी इस सवाल ने सालों से उलझाया हुआ है। इसके बारे में लगातार शोध जारी है। बहुत उम्मीद है कि इसके संबंध में एक निष्कर्षपूर्ण उत्तर वैज्ञानिक जल्द खोज लेंगे। नासा ने लक्ष्य रखा है कि मंगल ग्रह से सैम्पलों को 2030 तक धरती पर ले आएगी। ये ऐसे सैम्पल होंगे जिनसे मंगल ग्रह पर जीवन के सबूतों को पता लगाया जा सकेगा। हालांकि, वैज्ञानिक उल्का पिंडों के रूप में मंगल के पदार्थों की स्टडी कर रहे हैं। स्वीडन में Lund University में शोधकर्ताओं ने मंगल के 1.3 अरब साल पुराने उल्का पिंक को स्टडी किया है और पाया कि इसे पानी का सीमित एक्सपोजर मिला है। दूसरे शब्दों में, उस खास समय और जगह पर जीवन के होने की संभावना नहीं थी। वैज्ञानिकों ने न्यूट्रॉन और एक्स-रे टोमोग्राफी का इस्तेमाल किया। यह वही तकनीक है जो परसेवरेंस रोवर द्वारा लाए गए सैम्पलों को स्टडी करने के लिए इस्तेमाल की जाएगी। इस तकनीक का इस्तेमाल इसलिए किया गया क्योंकि वैज्ञानिक पता लगाना चाहते थे कि क...

Nasa का मार्स रोवर मंगल ग्रह पर जुटा रहा जीवन के सबूत, अब दो साल की देरी से पहुंचेंगे पृथ्‍वी पर

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मंगल ग्रह (Mars) पर जीवन के संकेत तलाशने के लिए अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) ने पर्सवेरेंस रोवर  (Perseverance rover) को भेजा है। यह रोवर वहां 45 किलोमीटर चौड़े ‘जेज़ेरो क्रेटर' से सैंपल्‍स इकट्ठा कर रहा है। इन सैंपल्‍स को पृथ्‍वी पर लाया जाएगा। शुरुआती योजना के मुताबिक साल 2026 तक एक लैंडर (SRL) भेजा जाना था और साल 2031 तक सैंपल्‍स को पृथ्‍वी पर लाया जाना था। लेकिन अब यह टाइमलाइन थोड़ा आगे बढ़ गई है। नासा ने ऐलान किया है कि वह अपने प्‍लान में एक और लैंडर को शामिल कर रही है। इस वजह से SRL की लॉन्‍च डेट को साल 2028 के लिए शिफ्ट कर दिया गया है और सैंपल रिटर्न 2033 तक हो सकेगा।    पर्सवेरेंस रोवर मंगल ग्रह के जेजेरो क्रेटर रीजन में काम कर रहा है। वैज्ञानिकों का मानना है कि अरबों साल पहले यहां एक झील और एक नदी डेल्टा था। सैंपल्‍स को इकट्ठा करने के लिए रोवर इस रीजन की सतह को खरोंच रहा है और सैंपल जुटा रहा है। इन्‍हें पृथ्‍वी पर लाने के बाद वैज्ञानिक जान पाएंगे कि मंगल ग्रह पर जीवन के संकेत हैं या नहीं।  इस पेचीदा मिशन के तहत पहले साल 2026 में SRL को NASA मार्स एसेंट व्हीकल (...

चर्चित व्यक्तित्व : भगवंत मान (Bhagwant Mann) की जीवनी

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First Published: March 18, 2022 | Last Updated:March 18, 2022 हाल ही में 16 मार्च, 2022 को भगवंत मान ने पंजाब ने नए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। वे पंजाब के 17वें मुख्यमंत्री बने। मुख्य बिंदु 2022 के विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी को बहुमत प्राप्त हुआ। जिसके बाद भगवंत मान पंजाब में आम आदमी पार्टी के पहले मुख्यमंत्री बने। गौरतलब है कि इससे पहले भगवंत मान संगरूर से लोकसभा सांसद थे। भगवंत मान (Bhagwant Mann) भगवंत मान का जन्म 17 अक्टूबर, 1973 को पंजाब के संगरूर में हुआ था। उन्होंने शहीद उधम सिंह कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई की। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत के कॉमेडियन के रूप में की।  कॉमेडियन के अलावा उन्होंने अभिनेता के रूप में भी कार्य किया। 2011 में भगवंत मान पीपल्स पार्टी ऑफ़ पंजाब में शामिल हुए और लेहरा से विधानसभा चुनाव लड़ा, परन्तु वे चुनाव हार गये। इसके बाद 2014 में वे आम आदमी में शामिल हुए, और उन्होंने लोक सभा चुनाव में संगरूर से जीत हासिल की। 2019 के लोकसभा चुनावों में उन्होंने फिर से जीत हासिल की। 2022 के विधानसभा चुनावों में उन्होंने जीत हा...

जिन ग्रहों पर जीवन की उम्‍मीद, उनके बारे में और जानकारी जुटाएगा ‘जेम्‍स वेब टेलीस्‍कोप’

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जब भी बात अंतरिक्ष में चल रही खोजों की आती है, तब यह सवाल जरूर उठता है कि क्‍या पृथ्‍वी के बाहर कहीं जीवन संभव है। वैज्ञानिक कई वर्षों से ऐसे ग्रहों की तलाश में हैं, जो जीवन को सपोर्ट कर सकें। पृथ्वी से कई प्रकाश-वर्ष दूर वैज्ञानिकों को एक ऐसी जगह का पता है, जहां ये सभी अटकलें सच हो सकती हैं। TRAPPIST-1 सिस्‍टम पर एक बार फ‍िर वैज्ञानिकों की नजर है। इस सिस्‍टम में पृथ्‍वी के आकार वाले 7 ग्रह हैं और यह सभी एक लाल बौने तारे की परिक्रमा करते हैं। नासा (NASA) के अनुसार, पांच साल पहले खोजा गया यह सिस्‍टम आज भी वैज्ञानिकों के लिए एक रहस्य बना हुआ है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा अब इन ग्रहों के बारे में और अधिक जानने के लिए ‘जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप' का इस्तेमाल कर रही है। नासा की ओर से शेयर की गई एक पोस्ट के अनुसार, जेम्‍स वेब स्‍पेस टेलीस्कोप इन ग्रहों के चारों ओर वायुमंडल के संकेतों की तलाश करेगा। इसका मकसद यह जानना है कि वो जीवन के लिए कितने काम के हो सकते हैं।   TRAPPIST-1 सिस्‍टम अपने तारे के चारों ओर सात ग्रहों को दर्शाता है। ए‍क इलेस्‍ट्रेशन के जरिए नासा ने इस सिस्‍टम के सभी ...

अमर जवान ज्योति (Amar Jawan Jyoti) को राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में क्यों विलीन किया गया?

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First Published: January 21, 2022 | Last Updated:January 21, 2022 इंडिया गेट में स्थित अमर जवान ज्योति का राष्ट्रीय युद्ध स्मारक (National War Memorial – NWM) में अखंड ज्योति में विलय किया गया। मुख्य बिंदु एक छोटे से समारोह में अमर जवान ज्योति ज्वाला का एक हिस्सा लिया गया और राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में ज्योति के साथ मिला दिया गया, जो इंडिया गेट के दूसरी तरफ 400 मीटर दूर है। इस समारोह की अध्यक्षता एकीकृत रक्षा स्टाफ के प्रमुख एयर मार्शल बी.आर. कृष्णा ने की। अमर जवान ज्योति (Amar Jawan Jyoti) अमर जवान ज्योति का निर्माण भारतीय सैनिकों के लिए एक स्मारक के रूप में किया गया था, जो 1971 के भारत-पाक युद्ध में कार्रवाई में वीरगति को प्राप्त हुए थे। भारत ने 1971 के युद्ध में जीत हासिल की थी, जिससे बांग्लादेश का निर्माण हुआ। अमर जवान ज्योति का उद्घाटन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 26 जनवरी 1972 को किया था। राष्ट्रीय युद्ध स्मारक (National War Memorial) प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 फरवरी, 2019 को एनडब्ल्यूएम का उद्घाटन किया था राष्ट्रीय युद्ध स्मारक ...

भारतीय रेलवे का मिशन जीवन रक्षा (Mission Jeewan Raksha) : मुख्य बिंदु

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First Published: January 9, 2022 | Last Updated:January 9, 2022 भारतीय रेलवे के एक अधिकारी के अनुसार “मिशन जीवन रक्षा” (Mission Jeewan Raksha) के तहत, RPF कर्मियों ने पिछले चार वर्षों में रेलवे स्टेशनों पर चलती ट्रेनों के पहियों से 1650 लोगों की जान बचाई है। मुख्य बिंदु  इसके अलावा, RPF कर्मियों ने 23 करोड़ रुपये के मूल्य के साथ 1,23,777 सामान को सही मालिकों को वापस कर दिया। इसमें से 1973 में 4.23 करोड़ रुपये मूल्य का सामान CR और WR RPF कर्मियों द्वारा वापस किया गया। RPF ने खोए या बिछड़े बच्चों को उनके परिवार से मिलाने में भी अहम भूमिका निभाई है। उन्होंने 11,900 से अधिक बच्चों को भी बचाया, जिन्हें देखभाल और सुरक्षा की आवश्यकता थी। जीवन रक्षा पदक ( Jeewan Raksha Medals) भारत के राष्ट्रपति ने पिछले 4 वर्षों में लोगों के जीवन को बचाने में उनके प्रयासों को पहचानने के लिए RPF कर्मियों को 9 जीवन रक्षा पदक और एक वीरता पदक से सम्मानित किया है। चाइल्ड हेल्प डेस्क वर्तमान में, पूरे भारत में 132 चाइल्ड हेल्प डेस्क कार्यरत हैं। RPF इन हेल्प डेस्क के जरिए बच्च...