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नासा के वैज्ञानिक का कमाल, 'गुनगुना' उठा महासागर!

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नासा के एक वैज्ञानिक ने अजब कारनाम कर दिखाया है। वैज्ञानिक ने स्पेस से दिख रहे समुद्र के रंगों के डेटा को म्यूजिक नोट के साथ मिला दिया है। इसके लिए वैज्ञानिक और उसके भाई ने 18 महीने तक लगातार काम करके एक ऐसा ऑनलाइन प्रोग्राम बनाया जो समुद्र के कलर डेटा को म्यूजिकल नोट्स के साथ जोड़ देता है जिससे एक मधुर संगीत पैदा होता है। यानि कि, कोई नदी जब समुद्र में मिलती है तो उस स्थान को ऊपर से देखने पर नदी और सागर के रंगों में बदलाव दिखता है। ये रंग हर जगह पर अपना एक डेटा बनाते हैं। NASA के Goddard Space Flight Center के वैज्ञानिक रोज इस महासागरीय इमेजरी को स्टडी करते हैं। इस खूबसूरत इमेजरी को नासा के वैज्ञानिक रयान वेंदरम्यूलिन ने संगीत की जुबान देने की सोची।  "हम एक ऐसी कहानी बताना चाहते थे जो हमारे समुद्र की कनेक्टिविटी को सुने जा सकने वाले अनुभव में बयां करती हो। इसके लिए हमने म्यूजिक का इस्तेमाल किया क्योंकि यह ज्यादा आकर्षक और डाइनेमिक लगता है, और हमें कई तरह के बैकग्राउंड्स से जोड़ने की क्षमता रखता है।" NASA के Goddard Space Flight Center के वैज्ञानिक रयान वेंदरम्यूलिन ने ए...

नासा को हमारी गैलेक्सी में मिला सुपर Black Hole, समाए हुए हैं 40 लाख से ज्यादा सूरज!

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अगर आप अंतरिक्ष को जानने में रुचि रखते हैं तो आपने ब्लैक होल (Black Hole) के बारे में जरूर सुना होगा। ब्लैक होल ऐसी जगहों में से है जो अब तक सबसे बड़ा रहस्य बने हुए हैं। इसके बारे में कहा जाता है कि इसका गुरुत्वाकर्षण बल इतना ज्यादा होता है कि यह किसी भी ग्रह को अपने में समा लेता है, यहां तक कि एक पूरी आकाशगंगा को भी! कहा जाता है कि ब्लैक होल को कोई भी चीज पार नहीं कर सकती है।  नासा ने ब्लैक होल के बारे में एक डराने वाली जानकारी साझा की है। नासा ने कहा है कि ब्लैक होल के बारे में जानने के लिए हमें ज्यादा दूर जाने की जरूरत नहीं है, बल्कि हमारी अपनी गैलेक्सी Milky Way में ही एक ब्लैक होल मौजूद है। नासा ने कहा है कि हमारी गैलेक्सी में Sagittarius A नाम का ब्लैक होल मौजूद है जिसमें लाखों की संख्या में सूर्य जैसे पिंड समाए हुए हैं। नासा ने यहां तक अनुमान लगाया है कि इसमें 4 मिलियन यानि कि लगभग 40 लाख तक सूर्य हो सकते हैं।  ब्लैक होल में सुपर ग्रेविटी जोन माना जाता है। इसकी ताकत इतनी ज्यादा होती है कि यह अपने संपर्क में आने वाली हर चीज को अपने अंदर खींच लेता है। इसका कारण गुरुत्वाकर्षण क...

नासा का एंड्योरेंस मिशन (Endurance Mission) क्या है?

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First Published: May 18, 2022 | Last Updated:May 18, 2022 नासा के एंड्योरेंस मिशन (Endurance Mission) को ले जाने वाला एक रॉकेट हाल ही में लॉन्च किया गया। मिशन का उद्देश्य  इसका उद्देश्य यह पता लगाना है कि पृथ्वी ग्रह जीवन का समर्थन क्यों करता है, जबकि मंगल और शुक्र जैसे अन्य ग्रह नहीं करते हैं। पृथ्वी जैसा गीला ग्रह जीवन के अस्तित्व के लिए उपयुक्त है। शुक्र कभी पानी वाला ग्रह था लेकिन बाद में अज्ञात कारणों से सूख गया। यदि हम यह समझें कि शुक्र क्यों सूख गया, तो रहने योग्य ग्रहों के बारे में हमारा ज्ञान बढ़ जाएगा। एंड्योरेंस मिशन के तहत क्या किया जाएगा? पृथ्वी की वैश्विक विद्युत क्षमता (global electric potential) को मापा जाएगा। माना जाता है कि पृथ्वी की यह विद्युत क्षमता बहुत कमजोर है और इस प्रकार यह जीवन का समर्थन कर सकती है। विद्युत क्षमता को मापना क्यों महत्वपूर्ण है? 2016 में, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) वीनस एक्सप्रेस मिशन ने शुक्र के चारों ओर एक 10-वोल्ट विद्युत क्षमता का पता लगाया। यदि विद्युत क्षमता मौजूद है, तो धनावेशित कण ग्रह की सतह...

नासा की डराने वाली खबर! खो जाएगा धरती का इकलौता चांद, न होगी चांदनी, न दिखेगा सूर्य ग्रहण ...

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NASA ने एक डराने वाली खबर दी है। मंगल ग्रह का चंद्रमा एक दिन इसके करीब आते-आते इसकी सतह से टकरा जाएगा और धरती का चंद्रमा हमेशा के लिए धरती से दूर हो जाएगा। नासा ने कहा है कि मंगल ग्रह का चंद्रमा धीरे-धीरे इसकी सतह के करीब आ रहा है। इसी तरह से धरती का चंद्रमा इसकी सतह से धीरे-धीरे दूर होता जा रहा है। इस गति का अंत ये होगा कि मंगल का चंद्रमा इसकी सतह से टकरा कर टुकडों में बिखर जाएगा और धरती की रातें एक समय बाद हमेशा के लिए अंधेरी हो जाएंगी।  हाल ही में नासा के पर्सवेरेंस रोवर ने मंगल के चंद्रमा फोबोस की शानदार तस्वीरे ली हैं। नासा ने इन्हें शेयर करने के साथ-साथ एक और तथ्य से पर्दा उठाया है। मंगल के दो चंद्रमा हैं- फोबोस और डीमोस। इसका फोबोस मून धीरे-धीरे लाल ग्रह की सतह के करीब आ रहा है। नासा ने अपनी वेबसाइट पर एक पोस्ट में इसकी मंगल के करीब आने की चाल के बारे में भी बताया है। जिसके मुताबिक, फोबोस हर 100 साल में 6 फीट यानि 1.8 मीटर से मंगल के करीब सरकता जा रहा है। इस हिसाब से 5 करोड़ साल बाद यह मंगल की सतह से टकरा कर चूर चूर हो जाएगा। इसके उलट इसका दूसरा चांद डीमोस इससे दूर चला जाएग...

मंगल ग्रह पर ‘दूसरी दुनिया’ का मलबा! जानें नासा के Ingenuity हेलीकॉप्‍टर को क्‍या मिला

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मंगल ग्रह (Mars) पर जीवन के संकेत तलाशने के लिए अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) ने पर्सवेरेंस रोवर  (Perseverance rover) को भेजा है। पिछले साल फरवरी में मंगल ग्रह की सतह पर पर्सवेरेंस रोवर के उतरने के दौरान उसका एक कॉम्‍पोनेंट (बैकशेल) अलग हो गया था। इसकी तस्‍वीर सामने आई है। पिछले हफ्ते अपनी 26वीं उड़ान के दौरान Ingenuity ने हवा में 159 सेकंड के दौरान 1,181 फीट की दूरी तय करते हुए 10 तस्वीरें लीं। इनमें उस कॉम्‍पोनेंट (बैकशेल) या लैंडिंग कैप्सूल के टॉप हाफ हिस्से को भी दिखाया गया है। रोवर के पैराशूट और बैकशेल 1.3 मील की ऊंचाई पर रोवर से अलग हो गए थे। वह रोवर से उत्तर-पश्चिम में एक मील से अधिक दूर लैंड हुए थे।  लगभग 15 फीट व्यास वाला बैकशेल लगभग 78 मील प्रति घंटे की रफ्तार से जमीन से टकराया और बिखर गया। वहीं, पैराशूट अपनी जगह पर बरकरार लगता है। नासा के इंजीनियरों ने इन तस्‍वीरों को टटोलना शुरू कर दिया है। पर्सवेरेंस के पैराशूट सिस्‍टम पर काम करने वाले इंजीनियर इयान क्‍लार्क कहते हैं कि एक तस्वीर एक हजार शब्‍दों के बराबर है।  बैकशेल के अवशेषों की स्‍टडी करने से नासा को उसके अगल...

अंतरिक्ष में भारत का मलबा सबसे कम है : नासा

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First Published: April 13, 2022 | Last Updated:April 13, 2022 नासा के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, मार्च 2019 में भारत द्वारा एंटी-सैटेलाइट परीक्षण (anti-satellite tests) करने के बाद जो अंतरिक्ष मलबा पैदा हुआ था, वह विघटित या क्षय हुआ प्रतीत होता है। इसके कारण अंतरिक्ष मलबे में देश का योगदान पिछले चार वर्षों की समयावधि में सबसे निचले स्तर पर आ गया है। अंतरिक्ष मलबा ( space debris) क्या हैं? अंतरिक्ष में, विभिन्न आकारों की बहुत सारी अवांछित वस्तुएँ तैरती रहती हैं। वे रॉकेट के अवशेषों, निष्क्रिय उपग्रहों और अन्य प्रकार के कबाड़ से उत्पन्न होती हैं। इन टुकड़ों को सामूहिक रूप से अंतरिक्ष मलबे के रूप में जाना जाता है। अंतरिक्ष मलबे से खतरा अंतरिक्ष में बहुत तेज गति से घूमने वाले ये टुकड़े अन्य अंतरिक्ष संपत्तियों और कार्यात्मक उपग्रहों के लिए खतरा माने जाते हैं। मिलीमीटर आकार के मलबे से भी टक्कर उपग्रहों को नष्ट कर सकती है। अंतरिक्ष मलबे की कुल मात्रा ऑर्बिटल डेब्रिस क्वार्टरली न्यूज के नवीनतम अंक, जिसे नासा के ऑर्बिटल डेब्रिस प्रोग्राम ऑफिस द्वारा प्रकाशित ...

शनि के सामने गेंद जितना नजर आ रहा उसका चंद्रमा, नासा ने शेयर की हैरान करने वाली तस्‍वीर

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अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) ने शनि (Saturn) के चंद्रमा डायोन (Dione) की हैरान करने वाली इमेज शेयर की है। शनि का चक्‍कर लगाते हुए डायोन अपने विशाल ग्रह के सामने गेंद जितना छोटा दिखाई देता है। नासा ने बताया है कि यह तस्‍वीर लगभग 2.3 मिलियन किलोमीटर की दूरी से ली गई थी। शायद इसीलिए चंद्रमा अपने असल आकार से भी छोटा दिखाई देता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि ग्रह और उसके चंद्रमाओं के बीच रिलेशनशिप को समझने में पारगमन (transit) महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच से गुजरता है तो ट्रैंज‍िट के दौरान वह पृथ्‍वी को सूर्य ग्रहण की ओर ले जाता है। डायोन की खोज साल 1684 में जियोवानी कैसिनी ने की थी। यह सिर्फ 562 किलोमीटर का एक छोटा चंद्रमा है, जो हमारे चंद्रमा का लगभग एक तिहाई है। डायोन हर 2.7 दिनों में 377,400 किलोमीटर की दूरी पर शनि की परिक्रमा करता है। यह लगभग उतनी ही दूरी है, जितनी दूरी पर चंद्रमा हमारी पृथ्वी के चारों ओर परिक्रमा करता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि डायोन मुख्य रूप से बर्फ से बना है। इसका औसत तापमान माइनस 186 डिग्री सेल्सियस है। इसकी बर्फ बह...

मंगल ग्रह पर साउंड करती है अजब बर्ताव, नासा ने जारी किए नमूने

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NASA ने मंगल ग्रह पर साउंड को लेकर एक स्टडी जारी की है। नासा के Perseverance रोवर ने मंगल पर ध्वनि के कुछ नमूने इकट्ठे किए हैं। इनसे निष्कर्ष निकलता है कि मंगल ग्रह पर साउंड अलग तरह से बर्ताव करती है। स्टडी में पाया गया है कि लाल ग्रह मंगल पर साउंड पृथ्वी की तुलना में धीमी गति से चलती है। यह कुछ अटपटे ढंग से भी बर्ताव करती है। इसके कारण भविष्य में कभी जब मानव यहां बसने की व्यवस्था करेगा तो कम्युनिकेशन प्लेटफॉर्म सेटअप करने में समस्या आ सकती है। साउंड की स्पीड वातावरण के घनत्व पर भी निर्भर करती है। मंगल का वातावरण काफी पतला है इसलिए वहां पर साउंड वेव धीमी गति से चलती है।  धरती पर ध्वनि 343 मीटर प्रति सेकंड की गति से चलती है। कुछ अध्य्यनों में पता चला है कि अधिक घने माध्यम जैसे पानी में ये 1480 मीटर प्रति सेकंड की दर से गति कर सकती हैं। इसलिए ये अधिक घने मीडियम में गति पकड़ती हैं और कम घने मीडियम में धीमी हो जाती हैं। मंगल का वातावरण धरती की तुलना 100 गुना तक पतला है। यह ज्यादातर कार्बन डाइऑक्साइड से बना हुआ है।  नासा ने मंगल पर इकट्ठा की गई साउंड का नमूना रिलीज किया है। आप इसे यहां...

नासा ने 5000 बाह्यग्रहों (Exoplanets) की पुष्टि की

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First Published: March 24, 2022 | Last Updated:March 24, 2022 नासा ने पृथ्वी के सौर मंडल के बाहर 65 नए ग्रहों की खोज की है।  इस नई खोज के बाद अब तक खोजे गए बाह्यग्रहों की कुल संख्या 5000 से अधिक हो गई है। इनमें से कुछ खोजे गए ग्रह पृथ्वी जैसे हैं। मुख्य बिंदु  इन नए खोजे गए 65 ग्रहों ने अंतरिक्ष अन्वेषण (space exploration) में एक मील का पत्थर चिह्नित किया है। इन 65 नए खोजे गए ग्रहों का अध्ययन ग्रह की सतह पर रोगाणुओं, पानी, गैसों या यहां तक ​​कि जीवन की उपस्थिति का पता लगाने के लिए किया जाएगा। खगोलविदों के अनुसार मिल्की वे गैलेक्सी ऐसे अरबों ग्रहों का घर है और अंतरिक्ष में इतनी सारी आकाशगंगाएँ मौजूद हैं। जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (James Webb Space Telescope) ने एक ऐसा चित्र लिया है, जिसमें हजारों आकाशगंगाएँ दिखाई दे रही थीं और इस बात की संभावना है कि उनमें से प्रत्येक में पृथ्वी जैसा ग्रह हो सकता है, जिसके जानकारी हमें अभी तक शायद न हो। खोजे गए ग्रहों की विशेषताएं खोजे गए ग्रहों में विभिन्न प्रकार की विशेषताएं और रचनाएं हैं जैसे गैसीय ग्रह जो बृहस्प...

नासा HERMES मिशन क्या है?

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First Published: February 1, 2022 | Last Updated:February 1, 2022 27 जनवरी, 2022 को नासा के HERMES मिशन ने एक महत्वपूर्ण मिशन समीक्षा पारित की। मुख्य बिंदु  HERMES मिशन एक 4-इंस्ट्रूमेंट सूट है, जिसे नासा के मून-ऑर्बिटिंग गेटवे के बाहर लगाया जाएगा। समीक्षा के दौरान नवंबर 2024 तक लॉन्च  के लिए, मिशन के प्रारंभिक डिजाइन और कार्यक्रम योजना का मूल्यांकन किया गया। HERMES मिशन HERMES मिशन आर्टेमिस मिशन के साथ-साथ NASA के चंद्रमा पर एक स्थायी उपस्थिति बनाने के लक्ष्यों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होगा। HERMES का अर्थ Heliophysics Environmental and Radiation Measurement Experiment Suite है। इसे नासा के गेटवे आउटपोस्ट के “हैबिटेशन एंड लॉजिस्टिक्स आउटपोस्ट मॉड्यूल” के बाहर लगाया जाएगा। HERMES मिशन का उद्देश्य HERMES मिशन अंतरिक्ष के मौसम की निगरानी और सूर्य द्वारा संचालित अंतरिक्ष में उतार-चढ़ाव की स्थिति में मदद करेगा। अंतरिक्ष मौसम में शामिल हैं: कणों और चुंबकीय क्षेत्रों की निरंतर धारा। बिलियन टन गैस के बादलों का विस्फोट, जिसे कोरोनल मास इजेक्शन कहा जाता ...

नासा ने मंगल ग्रह पर प्राचीन काल में पानी की उपस्थिति की खोज की

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First Published: February 1, 2022 | Last Updated:February 1, 2022 मार्स रेकांसेंस ऑर्बिटर (Mars Reconnaissance Orbiter) ने खोज की है कि मंगल पर दो अरब साल पहले पानी था। लेकिन आज ग्रह का सारा पानी वाष्पित हो चुका है। इसकी पुष्टि MRO ने ग्रह की सतह पर जमा नमक की मदद से की। मुख्य बिंदु  MRO ने पाया कि कुछ समय तक मंगल ग्रह पर पानी बहता है। नासा के ओडिसी ने सोडियम क्लोराइड के निशान पाए जो के सैकड़ों वर्ग किलोमीटर तक फैले हुए थे। यह 2001 में खोजा गया था। बाद में 2008 में नमक खनिज पाए गए। MRO ने पानी की खोज कैसे की? MRO ने ग्रह के दक्षिणी गोलार्ध में लवणों का मानचित्रण करने के लिए CRISM का उपयोग किया। CRISM का अर्थ Compact Reconnaissance Imaging Spectrometer है। मंगल ग्रह में कई क्रेटर हैं। MRO ने ज्वालामुखीय मैदानों के उथले अवसादों के साथ नमक के भंडार की खोज की। ये भंडार तीन मीटर से भी कम गहरे थे। इनका गठन लगभग 2.3 अरब साल पहले हुआ था। निष्कर्ष इस खोज का निकटतम एनालॉग अंटार्कटिका है। जब अंटार्कटिका में बर्फ पिघलती है तो झीलें बनती हैं। इसी तरह जब मंगल क...