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NASA के यान ने मंगल ग्रह पर देखी चमकदार वस्तु, वैज्ञानिकों ने बताई सच्चाई

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NASA के पर्सीवरेंस रोवर (Perseverance Rover) ने मंगल ग्रह (Mars Planet) पर चमकते धातु जैसी दिखने वाली एक वस्तु की फोटो कैप्चर की है, जिसने साइंटिस्ट व रिसर्चर्स को हैरान कर दिया है। कैप्चर की गई तस्वीर को NASA ने सार्वजनिक रूप से शेयर भी किया, जिसमें चट्टानों के बीच में एक पत्थर जैसा ऑब्जेक्ट है, जो चमक रहा है। हालांकि, जब वैज्ञानिकों ने तस्वीर को बारीकी से जांचा, तो पाया कि ये पर्सीवरेंस रोवर द्वारा फैलाया हुआ कचरा था।  बीते बुधवार को, NASA के Perseverance Mars Rover ट्विटर हैंडल से ट्वीट की एक सीरीज पोस्ट की गई, जिसमें पर्सीवरेंस रोवर द्वारा मंगल ग्रह पर एक चमकने वाली वस्तु की फोटो को शेयर किया गया। इस तस्वीर में मंगल ग्रह पर चट्टानों के बीच एक वस्तु दिखाई दे रही है, जो सिल्वर रंग की चमक फेंक रही है। फोटो के साथ ही पोस्ट में कुछ जानकारियां भी दी गई है।   My team has spotted something unexpected: It's a piece of a thermal blanket that they think may have come from my descent stage, the rocket-powered jet pack that set me down on landing day back in 2021. pic.twitter.com/O4rIaE...

चांद पर नाम भेज रहा है NASA, आप भी यहां कर सकते हैं रजिस्टर

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नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) ने बीते रविवार को सोशल मीडिया पर अपने फॉलोअर्स के लिए एक जबरदस्त ऑफर निकाला, जिसके बाद स्पेस टेक्नोलॉजी फैन्स को चौंका दिया। अमेरिकी स्पेस एजेंसी ने यूजर्स को Artemis I मिशन के जरिए लाखों लोगों का नाम चांद पर भेजने का फैसला लिया है, जिसके लिए रजिस्ट्रेशन भी चालू है। इस घोषणा के साथ ही ट्विटर पर कई मजेदार प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। NASA ने ट्विटर पर एक पोस्ट के जरिए बताया कि 3 मिलियन (30 लाख) लोगों के नाम को Artemis I के साथ चांद पर ले जाया जाएगा। स्पेस एजेंसी ने लिखा, (अनुवादित) "आप अपना नाम चंद्रमा पर भेज सकते हैं। कैसे? अपना बोर्डिंग पास प्राप्त करने के लिए साइन अप करें और इस वर्ष #Artemis I पर चंद्रमा के चारों ओर उड़ने वाले लगभग 3 मिलियन "यात्रियों" में शामिल हों। " इस पोस्ट में एक वीडियो भी है, जिसमें चंद्रमा घूमता दिखाई दे रहा है।   Artemis I मिशन में 30 लाख लोगों के नामों को एक फ्लैश ड्राइव में स्टोर करके स्पेस में ले जाया जाएगा। आप अपने नाम को रजिस्टर कराने के लिए इस वेबसाइट पर जा सकते हैं और अपना नाम...

स्पेस में हुआ हादसा, टेलीस्कोप से टकराया उल्का पिंड

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जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (James Webb Space) के प्राइमरी मिरर (दर्पण) सेगमेंट्स में से एक के साथ बेहद छोटे मेटियोरॉइड की टक्कर हुई, जिसके बाद वह मिरर क्षतिग्रस्त हो गया। NASA ने खुद इस बात की जानकारी शेयर की और साथ ही यह भी बताया कि टेलीस्कोप अभी भी कम पर लगी हुई है। यह घटना 23 मई से 25 मई के बीच हुई, लेकिन अमेरिकी स्पेस एजेंसी ने इसकी जानकारी पिछले हफ्ते शेयर की। नासा का कहना है कि टेलीस्कोप अभी भी ठीक परफॉर्म कर रहा है और डेटा में "मामूली रूप से पता लगाने योग्य" प्रभाव के बावजूद सभी मिशन आवश्यकताओं को अच्छे से पूरा कर रहा है। NASA ने ब्लॉग के जरिए बताया कि 23 मई से 25 मई के बीच James Webb Space के प्राइमरी मिरर से एक बेहद छोटा मेटियोरॉइड टकराया था। नासा ने बताया "अंतरिक्ष में Webb के पूरे जीवनकाल में प्रभाव जारी रहेगा; जमीन पर मिरर का निर्माण और परीक्षण करते समय ऐसी घटनाओं का अनुमान लगाया गया था।"    अंतरिक्ष एजेंसी का कहना है कि Webb के मिरर को माइक्रोमेटियोरॉइड से बमबारी का सामना करने के लिए इंजीनियर किया गया था, क्योंकि यह जिस वातावरण की परिक्रमा करता है व...

एलियन या UFO का रहस्य पता करने के लिए NASA बना रही वैज्ञानिकों की स्पेशल टीम

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NASA ने गुरूवार को कहा कि वह वैज्ञानिकों की एक ऐसी टीम बनाने जा रही है जो आकाश में होने वाली अजब या अनजानी घटनाओं की जांच करेगी, जिन्हें UFO कहा जाता है। अमेरिकी सरकार इस मुद्दे को अब गंभीरता से लेने लगी है।  अमेरिकी स्पेस एजेंसी का कहना है कि टीम का फोकस उपलब्ध डेटा की पहचान करने पर रहेगा। ताकि भविष्य के डेटा को इकट्ठा किया जा सके और इन घटनाओं को जांचने के लिए उस जानकारी का इस्तेमाल किया जा सके। नासा ने इसके लिए प्रिंसटॉन यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रमुख डेविड स्पेरगेल को अप्रोच किया है, जो टीम का नेतृत्व करेंगे। इसके अलावा इस टीम में डेनिअल इवांस भी होंगे जो नासा के साइंस मिशन डायरेक्ट्रेट के सीनियर रिसर्चर हैं।  नासा का कहना है कि वो इस मिशन में हजारों लाखों डॉलर खर्च करने वाली है जो कम से कम $ 100,000 (लगभग 7,782,500 रुपये) होगा।  घोषणा अमेरिकी सरकार द्वारा एक रिपोर्ट जारी करने के एक साल बाद आई है, जिसे नौसेना के नेतृत्व वाली टास्क फोर्स के साथ मिलकर नेशनल इंटेलिजेंस के डायरेक्टर के ऑफिस द्वारा संकलित किया गया है। इसमें ज्यादातर अज्ञात हवाई घटनाओं की नौसेना कर्मियों द्वारा टिप्पणिया...

नासा के वैज्ञानिक का कमाल, 'गुनगुना' उठा महासागर!

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नासा के एक वैज्ञानिक ने अजब कारनाम कर दिखाया है। वैज्ञानिक ने स्पेस से दिख रहे समुद्र के रंगों के डेटा को म्यूजिक नोट के साथ मिला दिया है। इसके लिए वैज्ञानिक और उसके भाई ने 18 महीने तक लगातार काम करके एक ऐसा ऑनलाइन प्रोग्राम बनाया जो समुद्र के कलर डेटा को म्यूजिकल नोट्स के साथ जोड़ देता है जिससे एक मधुर संगीत पैदा होता है। यानि कि, कोई नदी जब समुद्र में मिलती है तो उस स्थान को ऊपर से देखने पर नदी और सागर के रंगों में बदलाव दिखता है। ये रंग हर जगह पर अपना एक डेटा बनाते हैं। NASA के Goddard Space Flight Center के वैज्ञानिक रोज इस महासागरीय इमेजरी को स्टडी करते हैं। इस खूबसूरत इमेजरी को नासा के वैज्ञानिक रयान वेंदरम्यूलिन ने संगीत की जुबान देने की सोची।  "हम एक ऐसी कहानी बताना चाहते थे जो हमारे समुद्र की कनेक्टिविटी को सुने जा सकने वाले अनुभव में बयां करती हो। इसके लिए हमने म्यूजिक का इस्तेमाल किया क्योंकि यह ज्यादा आकर्षक और डाइनेमिक लगता है, और हमें कई तरह के बैकग्राउंड्स से जोड़ने की क्षमता रखता है।" NASA के Goddard Space Flight Center के वैज्ञानिक रयान वेंदरम्यूलिन ने ए...

आज पृथ्वी के बेहद करीब से गुजरेगा विशाल एस्ट्रॉयड, NASA को सता रही है चिंता

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190 फीट चौड़ा एक एस्टेरॉयड जल्द ही पृथ्वी के पास आने वाला है और NASA ने इसके आगमन की घोषणा कर दी है। आपको बता दें, यह एस्टेरॉयड रोम में स्थित कोलोसियम (157 फीट) से बड़ा है। अंतरिक्ष एजेंसी के अनुसार, बुधवार, 8 जून को एस्टेरॉयड हमारे ग्रह के सबसे करीब पहुंच जाएगा। एस्टेरॉयड का पृथ्वी के करीब से गुजरना असामान्य नहीं है। इससे पहले सोमवार को 160 फीट लंबा एक एस्टेरॉयड पृथ्वी के करीब पहुंच गया था। हालांकि, अपकमिंग एस्टेरॉयड थोड़ी चिंता बढ़ा रहा है। बुधवार को आने पर इस बड़े एस्टेरॉयड का हमारे ग्रह पर कुछ प्रभाव पड़ सकता है। NASA ने एस्टेरॉयड 2022 KV1 को 'नियर-अर्थ ऑब्जेक्ट' (NEO) के रूप में लेबल किया है। एस्टेरॉयड की यह कैटेगरी पृथ्वी के लिए खतरा पैदा कर सकती है और नासा द्वारा लगातार इसपर निगरानी रखी जा रही है। पृथ्वी के लिए एस्टेरॉयड का निकटतम फ्लाईबाई 2,660,000 मील/घंटा की दूरी पर होगा। नासा की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी ने एस्टेरॉयड के बारे में अधिक जानकारी का खुलासा किया है। जैसा कि नाम से पता चलता है, इस एस्टेरॉयड को पहली बार 2022 में खोजा गया था। NASA की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी...

NASA ने शेयर किया बादलों से घिरे Jupiter का अद्भुत वीडियो, आप भी देखें

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NASA ने अपने जूनोकैम द्वारा लिए गए अदभुत तस्वीरों के जरिए एक अनिमेशन तैयार किया है, जिसमें बृहस्पति ग्रह (Jupiter) बादलों से ढका नजर आ रहा है।  अमेरिकी स्पेस एजेंसी ने इस वीडियो को सभी के साथ शेयर भी किया है। यह एक तरह का टाइमलैप्स एनिमेशन है। एजेंसी ने जानकारी दी कि 9 अप्रैल, 2022 को, नासा के जूनो अंतरिक्ष यान (Juno Spacecraft) ने बृहस्पति के अपने 41वें क्लोज फ्लाईबाई को पूरा किया और उस समय, इसके जूनोकैम ने बृहस्पति को इस तरह कैप्चर किया कि मानो आप खुद अपनी आखों से उसे देख रहे हो। NASA की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी (JPL) ने अपने Instagram अकाउंट पर एक वीडियो शेयर किया, जिसमें जुपिटर को नजदीक से दिखाया गया है। छोटे से एनिमेटिड वीडियो में जुपिटर ग्रह बादलो से ढका हुआ दिखाई दे रहा है। खबर लिखते समय तक, इस वीडियो को 2,82,000 बार देखा जा चुका था। वीडियो को NASA के जूनो स्पेसक्राफ्ट में लगे जूनोकैम द्वारा ली गई तस्वीरों को जोड़ कर बनाया गया है।    पोस्ट के कैप्शन में लिखा है, (अनुवादित) "9 अप्रैल, 2022 को @nasa के जूनो अंतरिक्ष यान ने #Jupiter का 41वां नजदीकी फ्लाईबाई पूरा किया। इसके ...

ब्‍लू व्‍हेल से भी 3 गुना बड़ा एस्‍टरॉयड आ रहा हमारे करीब, 6 जून को होगा ‘सामना’

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एस्‍टरॉयड जिज्ञासा जगाते हैं, जब ये पृथ्‍वी के पास से गुजरते हैं। कुछ ऐसा ही फ‍िर होने जा रहा है। नासा के अनुसार, ब्लू व्हेल से भी तीन गुना बड़ा एक एस्‍टरॉयड सोमवार को 26,000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से पृथ्‍वी के ऊपर से गुजरेगा। रिपोर्टों के अनुसार, 2021 GT2 नाम का यह एस्‍टरॉयड हमारी पृथ्‍वी से 35 लाख किलोमीटर की दूरी से पास होगा। यह पृथ्‍वी और चंद्रमा के बीच की औसत दूरी का 10 गुना है। इस हिसाब से यह माना जा सकता है कि यह एक सुरक्षित सफर होगा, जिसका पृथ्‍वी पर कोई असर दिखने की उम्‍मीद नहीं है।   हाल ही में एक और एस्‍टरॉयड- 7335 (1989 JA) भी पृथ्‍वी के करीब से गुजरा था। इसे संभावित रूप से खतरनाक की कैटिगरी में रखा गया था। यह इस साल का अबतक का सबसे बड़ा एस्‍टरॉयड था, जिसने हमारी पृथ्‍वी के पास से सफर किया।   बात करें एस्‍टरॉयड 2021 GT2 की, तो इस अंतरिक्ष चट्टान का पता पिछले साल लगा था। अनुमान है कि इसका आकार 121 से 272 फीट के बीच है। आसानी से समझने के लिए इसकी लंबाई एक ब्लू व्हेल की लंबाई से तीन गुना तक ज्‍यादा हो सकती है। क्‍योंकि यह साइज में बहुत बड़ा नहीं है, इसीलिए इसे पृथ...

NASA के हेलीकॉप्टर ने मंगल ग्रह पर 25वीं उड़ान भर तोडा रिकॉर्ड, देखें वीडियो

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NASA का Ingenuity हेलीकॉप्टर मंगल ग्रह पर प्राचीन जीवन के निशान ढूंढने का काम कर रहा है और अब इसने कमजोर वातावरण में 25 उड़ानें भरने का रिकॉर्ड बनाया है। इंजीनियरों ने इस छोटे हेलीकॉप्टर को अपने साथी पर्सवेरेंस रोवर के साथ वन-वे ट्रिप पर भेजा जब पहली बार भेजा था, तो केवल पांच उड़ानों की प्लानिंग की थी, लेकिन Ingenuity ने अपनी 25वीं उड़ान भरके नया कीर्तिमान हासिल किया है। 8 अप्रैल को जब फ्लाइट ने उड़ान भरी, तो हेलीकॉप्टर ने पहले से कहीं ज्यादा तेज उड़ान भरी। इसने दूरी और स्पीड दोनों के रिकॉर्ड तोड़ दिए। हेलीकॉप्टर 704 मीटर ऊंचा और 5.5 मीटर प्रति सेकंड की स्पीड से उड़ा। Ingenuity के ब्लैक-एंड-व्हाइट नेविगेशन कैमरे ने उड़ान के दौरान कुछ लुभावनी तस्वीरें भी कैप्चर की। नासा के इंजीनियरों ने उन्हें एक वीडियो में एक साथ जोड़ दिया है, जिसमें मंगल ग्रह के आसपास का दृश्य दिखाया गया है। Ingenuity ने 25वीं उड़ान के बाद से कुछ और उड़ानें भरी हैं। नासा ने कहा कि यह फिलहाल अपनी 29वीं उड़ान की तैयारी कर रहा है। Ingenuity टीम के प्रमुख Teddy Tzanetos ने कहा कि हेलीकॉप्टर के नेविगेशन कैमरे ने उन्हें...

आप और हम पृथ्‍वी को ‘बर्बादी’ की ओर ले जा रहे! यह एकदिन अराजक हो जाएगी

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एक नई स्‍टडी में बताया गया है कि इंसान ना सिर्फ पृथ्‍वी को गर्म कर रहे हैं, बल्कि उसे अस्‍त-व्‍यस्‍त भी बना रहे हैं। जलवायु परिवर्तन अब कोई नई बात नहीं है। तमाम शोध इस मुहर लगा चुके हैं और यह भी साबित हो गया है कि जलवायु परिवर्तन के लिए इंसान ही काफी हद तक जिम्‍मेदार है। अब यह नई रिसर्च सामने आई है। 21 अप्रैल को इसे प्रीप्रिंट डेटाबेस arXiv पर पोस्‍ट किया गया था। इसमें इंसानी गतिविधि के क्‍लाइमेट पर असर की बात की गई है। जो निष्‍कर्ष सामने आए हैं, वो बिलकुल भी बेहतर नहीं हैं।  पुर्तगाल में पोर्टो यूनिवर्सिटी के फ‍िजिक्‍स और एस्‍ट्रोनॉमी डिपार्टमेंट के साइंटिस्‍ट इस स्‍टडी को लेखक हैं। उन्‍होंने समझाने की कोशिश की है कि अगर इंसान जलवायु परिवर्तन पर कदम नहीं उठाता है, तो वह कहां पहुंच जाएगा। स्‍टडी के अनुसार, अगर पृथ्‍वी का व्‍यवहार अराजक (chaotic) क्षेत्र में आ जाता है, तो हम जलवायु परिवर्तन से पार नहीं पा पाएंगे और सूखा, भयानक गर्मी, बारिश-बाढ़ जैसी घटनाओं को एक्‍स्‍ट्रीम लेवल पर झेलेंगे।    स्‍टडी के अनुसार, पृथ्वी समय-समय पर जलवायु पैटर्न में बड़े पैमाने पर बदलाव का अनुभव करती है...

नासा को हमारी गैलेक्सी में मिला सुपर Black Hole, समाए हुए हैं 40 लाख से ज्यादा सूरज!

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अगर आप अंतरिक्ष को जानने में रुचि रखते हैं तो आपने ब्लैक होल (Black Hole) के बारे में जरूर सुना होगा। ब्लैक होल ऐसी जगहों में से है जो अब तक सबसे बड़ा रहस्य बने हुए हैं। इसके बारे में कहा जाता है कि इसका गुरुत्वाकर्षण बल इतना ज्यादा होता है कि यह किसी भी ग्रह को अपने में समा लेता है, यहां तक कि एक पूरी आकाशगंगा को भी! कहा जाता है कि ब्लैक होल को कोई भी चीज पार नहीं कर सकती है।  नासा ने ब्लैक होल के बारे में एक डराने वाली जानकारी साझा की है। नासा ने कहा है कि ब्लैक होल के बारे में जानने के लिए हमें ज्यादा दूर जाने की जरूरत नहीं है, बल्कि हमारी अपनी गैलेक्सी Milky Way में ही एक ब्लैक होल मौजूद है। नासा ने कहा है कि हमारी गैलेक्सी में Sagittarius A नाम का ब्लैक होल मौजूद है जिसमें लाखों की संख्या में सूर्य जैसे पिंड समाए हुए हैं। नासा ने यहां तक अनुमान लगाया है कि इसमें 4 मिलियन यानि कि लगभग 40 लाख तक सूर्य हो सकते हैं।  ब्लैक होल में सुपर ग्रेविटी जोन माना जाता है। इसकी ताकत इतनी ज्यादा होती है कि यह अपने संपर्क में आने वाली हर चीज को अपने अंदर खींच लेता है। इसका कारण गुरुत्वाकर्षण क...

Jupiter के मैप को लोगों ने बताया साउथ इंडियन डिश, आप भी देखें ट्विटर यूजर्स के ये मजेदार रिएक्शन

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बृहस्पति ग्रह (Jupiter) के एक मैप की पुरनी तस्वीर सोशल मीडिया पर एक बार फिर चर्चा में है। एक ट्विटर हैंडल ने जुपिटर के मैप की तस्वीर शेयर की है, जो दिखने में एक पॉपुलर साउथ इंडियन डिश - डोसा (Dosa) की तरह है। इस ट्वीट पर कई ट्विटर यूजर्स ने मजाकिया रिप्लाई भी किए। जुपिटर के इस मैप को कुछ साल पहले नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) ने बनाया था और फिर ऑनलाइन पोस्ट किया था। हालांकि, इस बार इस तस्वीर ने भारतीयों का ध्यान अपनी ओर खींचा है। Latest in Space (@latestinspace) ट्विटर हैंडल ने NASA की एक पुरानी तस्वीर को शेयर किया है, जो बृहस्पति ग्रह का एक मैप है। तस्वीर के कैप्शन में लिखा है (अनुवादित) "बृहस्पति के बहुत नीचे से देख रहे हैं। नासा कैसिन द्वारा देखा गया।" इस तस्वीर को NASA के Cassini स्पेसक्राफ्ट के नैरो-एंगल कैमरा द्वारा कैप्चर किया गया था।   पोस्ट को 20 मई को पोस्ट किया गया था और इसे खबर लिखते समय तक, 2,120 बार री-ट्वीट किया जा चुका था और इसे 1,96,000 लोगों द्वारा लाइक किया जा चुका था। ट्वीट पर कई भारतीयों का मजाकिया रिप्लाई भी आया। ज्यादातर यूजर्स ने...

आज रात 12 बजे धरती पर लौटेगा Boeing Starliner, NASA को होगा बड़ा फायदा

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नया बोइंग स्टारलाइनर (Boeing Starliner) कैप्सूल बुधवार को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) के लिए अपनी पहली मानव रहित यात्रा से पृथ्वी पर वापसी करने के लिए तैयार हो गया है। यह व्हीकल भविष्य में NASA के अपकमिंग वाहन के रूप में अपनी उड़ान भरेगा। स्टारलाइनर ने फ्लोरिडा में केप कैनावेरल यूएस स्पेस फोर्स बेस से एक हफ्ते पहले अपनी टेस्ट फ्लाइट शूरू की थी। CST-100 Starliner का ISS से अनडॉक और धरती के लिए वापसी का समय दोपहर 2:36 बजे (EDT), यानी सुबह 12:06 (IST) के लिए सेट किया गया था, जिसके बाद इसे धरती में कदम रखने के लिए पांच घंटे का समय लगेगा। समाचार एसेंजी Reuters की रिपोर्ट कहती है कि यदि सब कुछ योजना के अनुसार होता है, तो मिशन की समाप्ति इस कैप्सूल शेप की शिप एक एयरबैग-कुशन वाले पैराशूट के साथ व्हाइट सैंड्स, न्यू मैक्सिको के पास रेगिस्तान पर 6:49 बजे PDT (7:19 am IST, गुरुवार) लैंड करेगा। स्टारलाइनर को पिछले गुरुवार को बोइंग-लॉकहीड मार्टिन के जॉइंट वेंचर United Launch Alliance द्वारा डेवलप Atlas V रॉकेट के साथ ऊपर कक्षा में ले जाया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य ISS के साथ डॉक करना थ...

समुद्र के नीचे मंडरा रहा है 'शार्ककैनो' नाम का खतरा कभी भी फट सकता है, NASA की चेतावनी!

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सोलोमन (Solomon) द्वीप में कवाची ज्वालामुखी (Kavachi Volcano) प्रशांत महासागर (Pacific Ocean) में सबसे सक्रिय सबमरीन ज्वालामुखियों में से एक है। NASA भी इसे लेकर गंभीर दिखाई दे रहा है। स्मिथसोनियन ग्लोबल ज्वालामुखी कार्यक्रम के अनुसार, यह ज्वालामुखी अक्टूबर 2021 में विस्फोट फेज़ में दाखिल हो गया था, जिसके बाद सैटेलाइट डेटा में देखा गया कि अप्रैल और मई 2022 के बीच कई दिन कवाची के आसपास के पानी का रंग भी बदला हुआ था। NASA के Earth Observatory ने अपने एक ब्लॉग में 14 मई, 2022 को Lansat 9 पर ऑपरेशनल लैंड इमेजर -2 (OLI-2) द्वारा ली गई तस्वीर को शेयर किया, जिसमें सबमरीन वोल्केनो से निकलने वाला फीका पड़ा पानी दिखाई दे रहा है। यह मटमैले पानी कई किलोमीटर तक फैला दिखाई दे रहा है। 2008 में की गई एक स्टडी पर रोशनी डालते हुए ब्लॉग कहता है कि सुपरहीटेड, अम्लीय पानी के ऐसे प्लम में आमतौर पर पार्टिकुलेट मैटर, ज्वालामुखीय चट्टान के टुकड़े और सल्फर होते हैं। ज्वालामुखी के लिए 2015 के एक वैज्ञानिक अभियान में पाया गया था कि पानी में डूबे इस क्रेटर में दो प्रजातियों की शार्क रहती हैं, जिनमें से एक हैमर...

54 लाख रुपये कमाने का ऑफर दे रहा है NASA, यहां करे रजिस्ट्रेशन

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NASA ने एक नया चैलेंज लॉन्च किया है, जिसमें अमेरिकी स्पेस एसेंजी मंगल ग्रह का सिमुलेशन तैयार करने वाले को 70,000 डॉलर (करीब 54 लाख रुपये) का इनाम देगी। इस सिमुलेशन को तैयार करवाने का कारण अंतरिक्ष यात्रियों को मार्स (Mars) में हर एक कथिन परिस्थितियों के लिए तैयार करना है। इस चैलेंज को MarsXR नाम दिया गया है, जिसमें भाग लेने वाले व्यक्ति को मार्स का एक्सप्लोर किया जा चुका लगभग 400 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र का सिमुलेशन बनाना होगा। एक आधिकारिक बयान में NASA ने कहा है कि एजेंसी ने इमर्सिव टेक्नोलॉजी डेवलपर एपिक गेम्स (Epic Games) के साथ "मंगल पर आने वाले अनुभवों और स्थितियों के लिए अंतरिक्ष यात्रियों को तैयार करने में मदद करने के लिए अनुसंधान, विकास और परीक्षण वातावरण" बनाने के लिए भागीदारी की है। इस चैलेंज को जीतने वाले को NASA $70,000 का इनाम देगी। इस चैलेंज में भाग लेने की आखिरी तारीख  26 जुलाई है। भाग लेने के लिए इस वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन करना होगा।    NASA MarsXR चैलेंज के लिए डेवलपर को Epic Games के Unreal Engine 5 का इस्तेमाल करते हुए नए Mars XR Operation Support System...

मंगल ग्रह पर सबसे बड़ा भूकंप खोजने वाला Nasa का इनसाइट लैंडर जल्‍द हो सकता है खत्‍म

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अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa) के मंगल मिशन को झटका लगा है। उसका एक स्‍पेसक्राफ्ट बर्बाद होने की ओर है। नासा के इनसाइट (Insight) लैंडर पर जमा हुई धूल की वजह से लैंडर अपनी बिजली खो रहा है। अंतरिक्ष एजेंसी ने मंगलवार को कहा कि वह इस स्‍पेसक्राफ्ट के भूकंपमापी का इस्तेमाल तब तक करती रहेगा, जब तक कि जुलाई में इसकी बिजली खत्म नहीं हो जाती। नासा ने बताया है कि फ्लाइट कंट्रोलर सब कुछ बंद करने से पहले इस साल के आखिर तक इनसाइट को मॉनिटर करेंगे।  साल 2018 में मंगल ग्रह पर उतरने के बाद से इनसाइट ने 1,300 से ज्‍यादा भूकंपों का वहां पता लगाया है। हाल ही में इसने मंगल ग्रह पर आए अब तक के सबसे बड़े भूकंप को रिकॉर्ड किया था, जिसकी तीव्रता 5 मापी गई थी। यह नासा का दूसरा मंगल ग्रह लैंडर होगा, जो धूल में खो गया है और जल्‍द बर्बाद हो सकता है।  हालांकि मंगल ग्रह की सतह पर नासा के दो और स्‍पेसक्राफ्ट अभी काम कर रहे हैं। इनमें शामिल हैं- रोवर्स क्यूरियोसिटी और पर्सिवरेंस। इनसाइट को लेकर इस मिशन की डेप्‍युटी प्रोजेक्‍ट मैनेजर कात्या जमोरा गार्सिया ने कहा है कि शुरू में लैंडर में एक घंटे 40 मिनट के लि...

हमारे सूर्य से 32 गुना बड़ा और 2 लाख गुना ज्‍यादा चमकदार तारा देखा है आपने?

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रात के साफ आसमान में हमें लाखों तारे दिखाई देते हैं। पृथ्‍वी से लाखों-‍करोड़ों किलोमीटर दूर स्थित ये तारे जगमगाते छोटे बिंदुओं की तरह दिखाई देते हैं। लेकिन हमारे अस्तित्व का तारा है सूर्य। इसके चारों ओर पृथ्वी समेत कई ग्रह चक्‍कर लगाते हैं। क्‍या आप किसी ऐसे तारे के बारे में सोच सकते हैं, जो हमारे सूर्य से 200,000 गुना ज्‍यादा चमकीला और 32 गुना ज्‍यादा बड़ा हो। हाल ही में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa) ने एक इमेज शेयर की है। इसमें दिखाया गया है कि तारे के आसपास की दुनिया कैसी दिखाई देगी। इमेज में ब्रह्मांड के परिदृश्य को दिखाया गया है, जो शांत नजर आता है, लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं है।  हर्शल 36 (Herschel 36) नाम का यह स्‍टार ‘लैगून नेबुला' (Lagoon Nebula) के केंद्र में है। यह लगभग 4,000 प्रकाश वर्ष दूर स्थित है। यह ताकतवर पराबैंगनी किरणों समेत अशांत गैसों, तेज रेडिएशन से भरा है। इन इंटरेक्‍शंस की वजह से ‘लैगून नेबुला' में गैस और धूल के पहाड़ों के एक काल्पनिक परिदृश्य दिखाई देता है।    नासा ने बताया है कि यह विशाल तारा अभी युवा है। लगभग 1 मिलियन वर्ष ही पुराना है और हाइ...

NASA ने हबल स्पेस टेलीस्कोप के पुराने डेटाबेस से खोजे 1,031 अज्ञात एस्ट्रॉयड का ग्रुप

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पिछले 20 वर्षों में हबल स्पेस टेलीस्कोप द्वारा इकट्ठा किए गए डेटा में 1701 नए एस्ट्रॉयड ट्रेल्स का पता लगाने के लिए एस्ट्रोनॉमर्स ने मानव और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के एक जटिल कॉम्बिनेशन का इस्तेमाल किया है। रिसर्चर्स का मानना ​​​​है कि खोजे गए इन नए एस्ट्रॉयड से सोलर सिस्टम की शुरुआत के बारे में अहम जानकारियां दे सकते हैं, जब ग्रहों का निर्माण हुआ था। हबल टेलीस्कोप NASA का सबसे मूल्यवान टेलीस्कोप है, जिसने खगोल विज्ञान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। दुनिया के इस सबसे बड़े स्पेस टेलीस्कोप को 1990 में लॉन्च किया गया था। UK के डेली न्यूजपेपर Daily Express की रिपोर्ट के अनुसार, जून 2019 में, एस्ट्रोनॉमर्स के एक अंतरराष्ट्रीय ग्रुप ने हबल स्पेस टेलीस्कोप के आर्काइव डेटा की जांच की और इसमें छिपे हजारों एस्ट्रॉयड की पहचान करने के लिए Hubble Asteroid Hunter नाम का एक सिटिजन साइंस प्रोजेक्ट लॉन्च किया। इस प्रोजेक्ट का नेतृत्व करने वाले मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट फॉर एक्स्ट्राटेरेस्ट्रियल फिजिक्स के सैंडोर क्रुक (Sandor Kruk) ने कहा "एक खगोलविद का कचरा दूसरे खगोलविद का खजाना हो सकता है।...

ब्‍लैक होल भी होते हैं कुपोषण का शिकार, Nasa के हबल टेलीस्‍कोप ने खोज निकाला

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अपने 30 साल से ज्‍यादा के सफर में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa) के हबल स्पेस टेलीस्कोप ने ब्रह्मांड की कुछ दिलचस्प इमेजेस को कैप्चर किया है। इससे खगोलविदों को वहां होने वाली रहस्यमयी घटनाओं को समझने में मदद मिली है। इन इमेजेस में एक ‘NGC 3147' नाम की स्‍पाइरल आकाशगंगा की तस्‍वीर भी है। यह आकाशगंगा लगभग 130 मिलियन प्रकाश-वर्ष दूर ड्रेको तारामंडल में स्थित है, जिसे ‘ड्रैगन' भी कहा जाता है। इमेज दिखाती है कि आकाशगंगा की घुमावदार भुजाएं अंतरिक्ष में फैली एक सर्पाकार सीढ़ी की तरह दिखाई देती हैं। हकीकत में इनमें गुलाबी रंग की निहारिकाएं (nebulae), नीले तारे मौजूद हैं।  इस इमेज को पहली बार जुलाई 2019 में रिलीज किया गया था। आकाशगंगा के कोर में एक ब्लैक होल है, लेकिन वह बहुत बेहतर नहीं है या यूं कहें कि कुपोषित है और तारों, गैस व धूल की एक पतली कॉम्पैक्ट डिस्क से घिरा है। हालांकि इस ब्लैक होल का गुरुत्वाकर्षण इतना मजबूत है कि जो कुछ भी उसके करीब आता है वह डिस्क में बह जाता है।   नासा की हबल टीम के अनुसार, इस ‘मॉन्‍स्‍टर' ब्लैक होल का वजन हमारे सूर्य के द्रव्यमान का लगभग 25...

इस महीने लॉन्‍च होगा Boeing का स्टारलाइनर स्‍पेसक्राफ्ट, लेकिन सप्‍लायर से हुआ टकराव

अमेरिकी एयरोस्‍पेस की दौड़ में कई प्राइवेट कंपनियां एक-दूसरे से मुकाबला कर रही हैं। इनमें बोइंग (Boeing) भी शामिल है, जो एक मानव रहित अंतरिक्ष यात्री कैप्सूल की टेस्टिंग करने और स्‍पेस सेक्‍टर में अपनी प्रतिष्‍ठा को बेहतर बनाने में लगी है। हालांकि कंपनी का एयरोजेट रॉकेटडाइन के साथ टकराव सामने आया है, जो उसके स्‍पेसक्राफ्ट के लिए एक प्रमुख सप्‍लायर है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, मिशन बोइंग एक सीधी चुनौती है एलन मस्‍क की स्‍पेसएक्‍स के लिए। इसके जरिए बोइंग खुद को एक प्रतिद्वंदी के तौर पर स्‍थापित करना चाहती है।  इसी क्रम में 19 मई को CST-100 स्टारलाइनर स्‍पेसक्राफ्ट को इंटरनेशनल स्‍पेस स्टेशन के लिए एटलस 5 रॉकेट के ऊपर लॉन्‍च किया जाना है। बोइंग, नासा को यह दिखाना चाहती है कि उसका स्‍पेसक्राफ्ट, अंतरिक्ष यात्रियों के लिए सुरक्षि‍त है।   बोइंग और एयरोजेट के बीच स्‍टारलाइनर के प्रोपल्‍शन सिस्‍टम को लेकर टकराव हुआ था। इस वजह से पिछले साल जुलाई में एक टेस्‍ट फ्लाइट को कैंसल करना पड़ा। इसके लिए दोनों कंपनियों ने एक-दूसरे को जिम्‍मेदार बताया। स्‍पेस सेक्‍टर की दुनिया में बोइंग पहले से ह...