"क्रिमिनल मामलों में TV चैनलों पर होने वाली बहस आपराधिक न्याय प्रशासन में हस्तक्षेप के समान": SC
ऐसी कोई भी बहस जो अदालतों के क्षेत्र में हैं, उन्हें आपराधिक न्याय प्रशासन में हस्तक्षेप माना जाएगा. नई दिल्ली: आपराधिक मामलों में टीवी पर होने वाली बहस पर सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी आई है. जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आपराधिक मामलों में टीवी चैनलों में होने वाली बहस आपराधिक न्याय प्रशासन में सीधे हस्तक्षेप के समान है. ये मामला आपराधिक अदालतों के अधिकार क्षेत्र का हैं. जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ का ये फैसला है. अपराध से संबंधित सभी मामले और क्या कोई विशेष बात सबूत का एक निर्णायक हिस्सा है ? इसे एक टीवी चैनल के माध्यम से नहीं, बल्कि एक कोर्ट द्वारा निपटाया जाना चाहिए. अदालत चार आरोपियों द्वारा दायर आपराधिक अपीलों पर विचार कर रही थी, जिन्हें डकैती के मामले के तहत दोषी ठहराया गया था. यह भी पढ़ें ये भी पढ़ें- 14 टीम, 9 बुलडोजर और 1500 पुलिसकर्मी : जहांगीरपुरी में कुछ ऐसे चला बुलडोजर ये एक पुलिस अधिकारी को स्वीकारोक्ति की प्रकृति में एक बयान के बारे में है. इसे जांच एजेंसी द्वारा रिकॉर्ड की गई डीवीडी पर उक्त बयानों को एक चैनल द्वारा कार्यक्रम में चलाया और प्...